गाना: ग़म दिये मुस्तक़िल चित्रपट: शाहजहाँ संगीतकार: नौशाद अली गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी गायक: कुंदन लाल सहगल ग़म दिये मुस्तक़िल, इतना नाज़ुक है दिल, ये न जाना हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना दे उठे दाग लो उनसे ऐ महलों कह सुनना हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना दिल के हाथों से दामन छुड़ाकर ग़म की नज़रों से नज़रें बचाकर उठके वो चल दिये, कहते ही रह गये हम फ़साना हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना कोई मेरी ये रूदाद देखे, ये मोहब्बत की बेदाद देखे फूक रहा है जिगर, पड़ रहा है मगर मुस्कुराना हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना ग़म दिये मुस्तक़िल, इतना नाज़ुक है दिल, ये न जाना हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना