स्वरगोष्ठी – 151 में आज     रागों में भक्तिरस – 19      राम की बाललीला के चितेरे तुलसीदास को पलुस्कर जी ने गाया      ‘ठुमक चलत रामचन्द्र बाजत पैजनिया...’         ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी  लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की उन्नीसवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन  मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस  श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग  और कुछ प्रमुख भक्त कवियों की रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस भक्ति  रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की  पिछली कड़ी में हमने आपको सोलहवीं शताब्दी के कृष्णभक्त कवि सूरदास के एक  लोकप्रिय पद- ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो...’ पर सांगीतिक चर्चा की थी।  यह पद कृष्ण की माखन चोरी लीला का वात्सल्य भाव से अभिसिंचित है। इसी क्रम  में आज की कड़ी में हम राम की बाललीला का आनन्द लेंगे। गोस्वामी तुलसीदास  अपने राम को ठुमक कर चलते हुए और पैजनी की मधुर ध्वनि बिखेरते हुए देखते  हैं। तुलसीदास के इस पद को ...
