स्वरगोष्ठी – 411 में आज     कल्याण थाट के राग – 9 : राग शुद्धकल्याण       विदुषी अश्विनी भिड़े से राग शुद्ध कल्याण का खयाल और इस राग में पिरोया गीत लता मंगेशकर से सुनिए              अश्विनी भिड़े देशपाण्डे     लता मंगेशकर   “रेडियो  प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी  लघु श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” के नौवें अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र,  आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के  अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था  है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का  प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम  5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति  है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट  कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72  मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग  किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नाराय...