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नदी जो झील बन गई - सौरभ शर्मा

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने उषा छाबड़ा के स्वर में उन्हीं की मार्मिक कथा " अम्मा " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, सौरभ शर्मा की कथा नदी जो झील बन गई , अनुराग शर्मा के स्वर में। पुनर्जन्म लेते एक नगर की मार्मिक कथा को दो मित्रों के पत्राचार के माध्यम से सौरभ ने बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है। रायपुर (छत्तीसगढ) निवासी सौरभ शर्मा साहित्यिक अभिरुचि वाले एक युवा पत्रकार हैं। आज के समय में उनके जैसे सरल और सच्चे लोग आम नहीं होते हैं। आप उनसे उनके ब्लॉग मैं और मेरा परिवेश पर मिल सकते हैं। इस कहानी नदी जो बन गई झील का गद्य सेतु मासिक पत्रिका पर पढा जा सकता है। कहानी का कुल प्रसारण समय 18 मिनट 34 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं...