"है नाम ही काफी उनका और क्या कहें, कुछ लोग तआर्रुफ के मोहताज नहीं होते" गुलजार उन्ही चंद लोगों में से एक हैं जिन्हें किसी परिचय की जरुरत नहीं है. गुलज़ार एक ऐसा नाम है जो उत्कृष्ट और उम्दा साहित्य का पर्याय बन गया है. आज अगर कही भी गुलज़ार जी का नाम आता है लोगों को विश्वास होता है कि हमें कुछ बेहतरीन ही पढ़ने-सुनने को मिलेगा. आवाज हो या लेखन दोनों ही क्षेत्रों में गुलजार जी का कोई सानी नहीं. गुलजार लफ्जों को इस तरह बुन देते है कि वो आत्मा को छूते हैं. शायद इसीलिए वो बच्चों, युवाओं और बूढों में समान रूप से लोकप्रिय है. गुलज़ार जी का स्पर्श मात्र ही शब्दों में प्राण फूँक देता है और ऐसा लगता है जैसे शब्द किसी कठपुतली की तरह उनके इशारों पर नाचने लगे है. उनकी कल्पना की उडान इतनी अधिक है कि उनसे कुछ भी अछूता नहीं रहा है. वो हर नामुमकिन को हकीकत बना देते हैं. उनके कहने का अंदाज बिलकुल निराला है. वो श्रोता और पाठक को ऐसी दुनिया में ले जाते है जहां लगता ही नहीं कि वो कुछ कह रहे है ऐसा प्रतीत होता है जैसे सब कुछ हमारे आस-पास घटित हो रहा है. कभी-कभी सोचती हूँ, गुलजार जी कोई एक व्...