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दिग दिग दिगंत - नया ओरिजिनल

Manoj Agarwal प्लेबैक ओरिजिनलस् एक कोशिश है दुनिया भर में सक्रिय उभरते हुए गायक/संगीतकार और गीतकारों की कला को इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की. इसी कड़ी में हम आज लाये हैं दो नए उभरते हुए फनकार, और उनके समागम से बना एक सूफी रौक् गीत. ये युवा कलाकार हैं गीतकार राज सिल्स्वल (कांस निवासी) और संगीतकार गायक मनोज अग्रवाल, तो दोस्तों आनंद लें इस नए ओरिजिनल गीत का, और हमें बताएं की इन प्रतिभाशाली फनकारों का प्रयास आपको कैसा लगा गीत के बोल - दिग दिग दिगंत  तू भी अनंत, में भी अनंत  चल छोड़ घोंसला, कर जमा होंसला  ये जीवन है, बस एक बुदबुदा  फड पंख हिला और कूद लगा   थोडा जोश में आ, ज़ज्बात जगा  पींग बड़ा आकाश में जा  ले ले आनंद, दे दे आनंद दिग दिग दिगंत दिग दिग दिगंत    तारा टूटा, सारा टूटा  जो हारा , हारा टूटा  क्यों हार मना, दिल जोर लगा  सोतान का सगा है कोन यहाँ  तेरे रंग में रंगा है कौन यहाँ  तू खुद का खुदा है, और खुद में खुदा है  ढोंगी है संत झूठे महंत  दिग दिग दिगंत दिग दिग दिगंत