सुर संगम - २४ - सारंगी सारंगी शब्द हिंदी के 'सौ' और 'रंग' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है सौ रंगों वाला। ऐस नाम इसे इस्लिए मिला है कि इससे निकलने वाले स्वर सैंकड़ों रंगों की भांति अर्थवत और संस्मरणशील हैं। प श्चिमी राजस्थान में एक कहावत प्रचलित है - ''ताल मिले तो पगाँ रा घुंघरु बाजे'' अर्थात गायकी के साथ यदि सधा हुआ संगतकार (साथ वाद्य बजाने वाला) हो तो सुननेवाला उस गीत-संगीत में डूब जाता है। राजस्थानी लोक संस्कृति में लोक वाद्यों का काफ़ी प्रभाव रहा है। प्रदेश के भिन्न-भिन्न अंचलों में वहाँ की संस्कृति के अनुकूल स्थानीय लोक वाद्य खूब रच-बसे हैं। जिस क्षेत्र में स्थानीय लोक कला एवं वाद्यों को फलने-फूलने का अवसर मिला है वहाँ के लोक वाद्यों की धूम देश के कोने-कोने से लेकर विदेशों तक मची है। इन्हीं वाद्य यंत्रों में एक प्रमुख वाद्य यंत्र है - ''सारंगी''। सुर-संगम के २४वें साप्ताहिक अंक में मैं, सुमित चक्रवर्ती सभी श्रोता-पाठकों का अभिनंदन करता हूँ। सारंगी शब्द हिंदी के 'सौ' और 'रंग' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है सौ...