सुनिए काका को श्रद्धान्जली देने को तैयार किया गया हमारा खास पॉडकास्ट मूल स्क्रिप्ट यह पोडकास्ट समर्पित है हिन्दी फिल्मों के निर्विवादित पहले सुपरस्टार को। इनकी मक़बूलियत के किस्से परिकथाओं और जनश्रुतियों की तरह दुनिया में मशहूर हैं। हमें उम्मीद और पक्का यकीन है कि हमें इनका नाम बताने की ज़रूरत न होगी। चलिए तो नाम पर पर्दा रहते हुए हीं इनके बारे में दो-चार बातें कर ली जाएँ। इन महानुभाव का जन्म २९ दिसंबर १९४२ को ब्रिटिश इंडिया के बुरेवाला में हुआ था। जब जन्म हुआ तो नाम भी रखना था तो नाम रखा गया जतिन अरोड़ा। लेकिन ज्यादा दिनों तक न जतिन रहा और न हीं अरोड़ा। १९४८ में जब इनके माता-पिता इन्हें अपने रिश्तेदारों चुन्नी लाल खन्ना और लीलावती खन्ना को सौंपकर पंजाब के अमृतसर चले गए तो ये अरोड़ा से खन्ना हो लिए। इनके नए माता-पिता बंबई के गिरगांव के नजदीक ठाकुरगांव में रहते थे। यही इनका भी लालन-पालन और बढना-पढना हुआ। इन्होंने स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढाई की अपने बचपन के दोस्त रवि कपूर के साथ जो आगे चलकर जितेंद्र कहलाए। ज्यों-ज्यों इनकी उम्र बढ...