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आर्टिस्ट ऑफ द मंथ - संगीतकार ऋषि एस

ऋषि एस रेडियो प्लेबैक के सबसे पुराने और स्थायी संगीतकार हैं, जो इस पूरे महीने आपसे मुखातिब रहेंगें आर्टिस्ट ऑफ द मंथ बनकर. वर्ष २००७ से वो निरंतर संगीत निर्माण में सक्रिय हैं. अभी हाल ही में उन्होंने सोनोरे यूनिसन के नाम से खुद का एक संगीत लेबल भी बनाया है जिसके माध्यम से वो अपने गीतों को डिजिटल रूप में अंतरजाल पर रिलीस कर रहे हैं. तो मिलिए हैदराबाद के ऋषि एस से और जानिये क्या है उनकी संगीत ऊर्जा का राज़, Over to Rishi S....

द अवेकनिंग सीरीस की पहली पेशकश आतंकवाद के खिलाफ - दोहराव

हिंद युग्म ने आधारशिला फिल्म्स के साथ सहयोग कर अलग अलग मुद्दों को दर्शाती एक लघु शृंखला "द अवेकनिंग सीरिस" शुरू की है. अभी शुरुआत में ये एक जीरो बजेट प्रयोगात्मक रूप में ही है, जैसे जैसे आगे बढ़ेगें इसमें सुधार की संभावना अवश्य ही बनेगी. इस शृंखला में ये पहली कड़ी है जिसका शीर्षक है -दोहराव. विचार बीज और कविता है सजीव सारथी की, संगीत है ऋषि एस का, संपादन है जॉय कुमार का और पार्श्व स्वर है मनुज मेहता का. फिल्म संक्षिप्त में इस विचार पर आधारित है - जब किसी इलाके में मच्छर अधिक हो जाए तो सरकार जाग जाती है और डी टी पी की दवाई छिडकती है, ताकि मच्छर मरे और जनता मलेरिया से बच सके. आतंकवाद रुपी इस महामारी से निपटने के लिए सरकार अभी और कितने लोगों की बलि का इंतज़ार कर रही है ? क्या हम सिर्फ सरकार के जागने का इंतज़ार कर सकते हैं या कुछ और....

गाँव से लायी एक सुरीला सपना रश्मि प्रभा और जिसे मिलकर संवार रहे हैं ऋषि, कुहू, श्रीराम और सुमन सिन्हा

दोस्तों, आपने गौर किया होगा कि एक दो शुक्रवारों से हम कोई नया गीत अपलोड नहीं कर रहे हैं. दरअसल बहुत से गीत हैं जिन पर काम चल रहा है, पर ऑनलाइन गठबंधन की कुछ अपनी मजबूरियां भी होती है, जिनके चलते बहुत से गीत अधर में फंस जाते हैं. पर हम आपको बता दें कि आवाज़ महोत्सव का तीसरा सत्र जारी है और अगला नया गीत आप जल्द ही सुनेंगें. इन सब नए गीतों के निर्माण के अलावा भी कुछ प्रोजेक्ट्स हैं जिन पर आवाज़ की टीम पूरी तन्मयता से काम कर रही है. ऐसे ही एक प्रोजेक्ट् से आईये आपका परिचय कराएँ आज. युग्म से जुड़े सबसे पहले संगीतकार ऋषि एस एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार हैं, इस बात का अंदाजा, हर सत्र में प्रकाशित उनके गीतों को सुनकर अब तक हमारे सभी श्रोताओं को भी हो गया होगा. आमतौर पर आजकल संगीतकार धुन पहले रचते हैं, ऐसे में दिए हुए शब्दों को धुन पर बिठाना और उसमें जरूरी भाव भरना एक दुर्लभ गुण ही है, और उससे भी दुर्लभ है गुण, शुद्ध कविताओं को स्वरबद्ध करने का. अमूमन गीत एक खास खांचे में लिखे जाते हैं ताकि धुन आसानी से बिठाई जा सके, पर जब कवि कविता लिखता है तो वह इन सब बंधनों से दूर रहकर अपने मन को शब्दों में

जब हुस्न-ए-इलाही बेपर्दा हुआ वी डी, ऋषि और नए गायक श्रीराम के रूबरू

Season 3 of new Music, Song # 17 सूफी गीतों का चलन इन दिनों इंडस्ट्री में काफी बढ़ गया है. लगभग हर फिल्म में एक सूफियाना गीत अवश्य होता है. ऐसे में हमारे संगीतकर्मी भी भला कैसे पीछे रह सकते हैं. सूफी संगीत की रूहानियत एक अलग ही किस्म का आनंद लेकर आती है श्रोताओं के लिए, खास तौर पे जब बात हुस्न-ए-इलाही की तो कहने ही क्या. जिगर मुरादाबादी के कलाम को विस्तार दिया है विश्व दीपक तन्हा ने. दोस्तों गुलज़ार साहब इंडस्ट्री में इस फन के माहिर समझे जाते हैं. ग़ालिब, मीर आदि उस्ताद शायरों के शेरों को मुखड़े की तरह इस्तेमाल कर आगे एक मुक्कमल गीत में ढाल देने का काम बेहद खूबसूरती से अंजाम देते रहे हैं वो. हम ये दावे के साथ कह सकते हैं इस बार हमारे गीतकार उनसे इक्कीस नहीं तो उन्नीस भी नहीं हैं यहाँ. ऋषि ने पारंपरिक वाद्यों का इस्तेमाल कर सुर रचे हैं तो गर्व के साथ हम लाये हैं एक नए गायक श्रीराम को आपके सामने जो दक्षिण भारतीय होते हुए भी उर्दू के शब्दों को बेहद उ्म्दा अंदाज़ में निभाने का मुश्किल काम कर गए हैं इस गीत में. साथ में हैं श्रीविद्या, जो इससे पहले " आवारगी का रक्स " गा चुकी हैं हम

"खुद पे यकीं" एक मिशन है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट है और अब दरकार है बस आपके सहयोग की

अभी कुछ दिन पहले हमने एक खास गीत जारी किया था, जिसका उद्देश्य शारीरिक विकलांगता से झूझ रहे लोगों के मन में आत्मविश्वास भरना था, जी हाँ, आपने सही पहचाना, ये गीत था " खुद पे यकीं ", जिसे आप सब ने बेहद सराहा है, इस गीत के सन्देश को और अधिक लोगों तक पहुँचाने के उद्देश्य से इस गीत के गायक बिस्वजीत नंदा ने खोज निकला एक ऐसा शख्स जो इस गीत से सम्बंधित तस्वीरों और कथनों को जोड़ कर एक वीडियो बना सके, पोलैंड का ये शख्स हिंदी नहीं समझता है पर बिस्वजीत ने उनका साथ दिया और बन गया ये वीडियो. जिसको आज हम आवाज़ पर खोल रहे हैं. जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं उनके बारे में आप अधिक जानकारी अवश्य लें यहाँ अब देखिये ये वीडियो और अगर पसंद आये तो अपने मित्रों को भी अवश्य दिखाएँ, ताकि ये सन्देश अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक पहुँच सकें

दुम न हिलाओ, कान काट खाओ.....उबलता आक्रोश युवाओं का समेटा वी डी, ऋषि और उन्नी ने इस नए गीत में

Season 3 of new Music, Song # 15 "जला दो अभी फूंक डालो ये दुनिया...", गुरु दत्त के स्वरों में एक सहमा मगर संतुलित आक्रोश था जिसे पूरे देश के युवाओं में समझा. बाद के दशकों में ये स्वर और भी मुखरित हुए, कभी व्यंग बनकर (हाल चाल ठीक ठाक है) कभी गुस्सा (दुनिया माने बुरा तो गोली मारो) तो कभी अंडर करंट आक्रोश (खून चला) बनकर. कुछ ऐसे ही भाव लेकर आये हैं आज के युवा गीतकार विश्व दीपक "तन्हा" अपने इस नए गीत में. ऋषि पर आरोप थे कि उनकी धुनों में नयापन नहीं दिख रहा, पर हम बताना चाहेंगें कि हमारे अब तक के सभी सत्रों में ऋषि के गीत सबसे अधिक बजे हैं, जाहिर है एक संगीतकार के लिहाज से उनका अपना एक स्टाइल है जो अब निखर कर सामने आ रहा है, रही बात विविधता की तो हमें लगता है कि जितने विविध अंदाज़ ऋषि ने आजमाए हैं शायद ही किसी ने किये होंगें. अब आज का ही गीत ले लीजिए, ये उनके अब तक के सभी गीतों से एकदम अलग है. गायक उन्नी का ये दूसरा गीत है इस सत्र में, पर पहला एकल गीत भी है ये उनका. गीत के अंत में कुछ संवाद भी हैं जिन्हें आवाज़ दी है खुद विश्व दीपक ने, बैक अप आवाज़ तो ऋषि की है ही....तो

बस करना है खुद पे यकीं....शारीरिक विकलांगता से जूझते लोगों के लिए बिस्वजीत, ऋषि और सजीव ने दिया एक नया मन्त्र

Season 3 of new Music, Song # 14 विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है, न ये आपके पूर्वजन्मों के पापों की सजा है न आपके परिवार को मिला कोई श्राप. वास्तविकता यह है कि इस दुनिया में कोई भी परिपूर्ण नहीं है, कोई न कोई कमी हर इंसान में मौजूद होती है, कुछ नज़र आ जाती है तो कुछ छुपी रहती है. इसी तरह हर इंसान में कुछ न कुछ अलग काबिलियत भी होती है. अपनी कमियों को समझकर उस पर विजय पाना ही हर जिंदगी का लक्ष्य है. इंसान वही है जो अपनी खूबियों का पलड़ा भारी कर अपनी कमियों को पछाड़ देता है, और दिए हुए संदर्भों में खुद को मुक्कम्मल साबित करता है. पर ये भी सच है कि सामजिक धारणाओं और संकुचित सोच के चलते शारीरिक विकलांगता के शिकार लोगों को समाज में अपनी खुद की समस्याओं के आलावा भी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आवाज़ महोस्त्सव के चौदहवें गीत में आज हम इन्हीं हालातों से झूझ रहे लोगों के लिए ये सन्देश लेकर आये हैं हिम्मत और खुद पे विश्वास कर अगर वो चलें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. सजीव सारथी के झुझारू बोलों को सुरों में पिरोया है ऋषि एस ने और आपनी आवाज़ से इस गीत में एक नया जोश भरा है बिश्वजीत नंदा ने.

बिन तोड़े पीसे कड़वी सुपारी का स्वाद चखा कुहू, वी डी और ऋषि ने मिलकर

Season 3 of new Music, Song # 13 देखते ही देखते आवाज़ संगीत महोत्सव अपने तीसरे संस्करण में तेरहवें गीत पर आ पहुंचा है, हमारे बहुत से श्रोताओं की शिकायत रही है कि हम कुछ ऐसे गीत नहीं प्रस्तुत करते जो आज कल के फ़िल्मी गीतों को टक्कर दे सकें, तो इसे हमारे संगीतकारों ने एक चुनौती के तौर पर लिया है, और आपने गौर किया होगा कि इस सत्र में हमने बहुत से नए जोनरों पर नए तजुर्बे किये हैं. ऐसी ही एक कोशिश आज हो रही है, एक फ़िल्मी आइटम गीत जैसा कुछ रचने की, पर यहाँ भी हमने अपनी साख नहीं खोयी है. "बाबूजी धीरे चलना" से "बीडी जलाई ले" तक जाने कितने ऐसे आइटम गीत बने हैं जो सरल होते हुए भी कहीं न कहीं गहरी चोट करते है. ये गीत भी कुछ उसी श्रेणी का है. दोस्तों, इश्क मोहब्बत को फ़िल्मी गीतकारों ने दशकों से नयी नयी परिभाषाओं में बाँधा है, हमारे "इन हाउस" गीतकार विश्व दीपक तन्हा ने भी एक नया नाम दिया है इस गीत में मोहब्बत को. ऋषि एस, जो अमूमन अपने मेलोडियस गीतों के लिए जाने जाते हैं एक अलग ही दुनिया रचते हैं इस गीत में, और कुहू अपनी आवाज़ का एक बिलकुल ही नया रंग लेकर उतर जाती है

खुदा के अक्स और आवारगी के रक्स के बीच कुछ दर्द भी हैं मैले मैले से

Season 3 of new Music, Song # 10 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया, पर क्या इतने भर से हमारी जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है ? श्रम करते, सड़कों पे पलते, अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित बच्चे रोज हमारी आँखों के आगे से गुजरते हैं, और हम चुपचाप किनारा कर आगे बढ़ जाते हैं. हिंद युग्म आज एक कोशिश कर रहा है, इन उपेक्षित बच्चों के दर्द को कहीं न कहीं अपने श्रोताओं के ह्रदय में उतारने की, आवाज़ संगीत महोत्सव के तीसरे सत्र के दसवें गीत के माध्यम से. इस आयोजन में हमारे साथी बने हैं संगीतकार ऋषि एस, और गीतकार सजीव सारथी. साथ ही इस गीत के माध्यम से दो गायिकाओं की भी आमद हो रही है युग्म के मंच पर. ये गायिकाएं है श्रीविध्या कस्तूरी और तारा बालाकृष्णन. हम आपको याद दिला दें कि आवाज़ के इतिहास में ये पहला महिला युगल गीत है. गीत के बोल - उन नन्हीं आँखों में, देखो तो देखो न, उन हंसीं चेहरों को, देखो तो देखो न, शायद खुदा का अक्स है, आवारगी का रक्स है, सारे जहाँ का हुस्न है, या जिंदगी का जश्न है... उन नन्हीं.... बेपरवाह, बेगरज, उडती तितलियों जैसी, हर परवाज़ आसमां को, छूती सी उनकी, पथरीले रास्तों पे, लेक

दिल यार यार करता है- संगीत सत्र की सूफी-पेशकश

Season 3 of new Music, Song # 07 हिन्द-युग्म हिन्दी का पहला ऐसा ऑनलाइन मंच हैं जहाँ इंटरनेटीय जुगलबंदी से संगीत-निर्माण की शुरूआत हुई। इन दिनों हिन्द-युग्म संगीतबद्ध गीतों के तीसरे संत्र 'आवाज़ महोत्सव 2010' चला रहा है, जिसके अंतर्गत 4 अप्रैल 2010 से प्रत्येक शुक्रवार हम एक नया गीत रीलिज कर रहे हैं। हिन्द-युग्म के आदिसंगीतकार ऋषि एस हर बार कुछ नया करने में विश्वास रखते हैं। आज जो गीत हम रीलिज कर रहे हैं, उसमें ऋषि के संगीत का बिलकुल नया रूप उभरकर आया है। साथ में हैं हिन्द-युग्म से पहली बार जुड रहे गायक रमेश चेल्लामणि। गीत के बोल - तेरी चाहत में जीता है, तेरी चाहत में मरता है, तेरी सोहबत को तरसता है तेरी कुर्बत को तड़पता है, कैसा दीवाना है.... ये दिल यार यार करता है, ये दिल यार यार करता है... लौट के आजा सोहणे सजन, तुझ बिन सूना, ये मन आँगन, साँसों के तार टूटे है, धड़कन की ताल मध्यम है, कहीं देर न हो जाए, ये दिल यार यार करता है, ये दिल यार यार करता है... आँखों से छलका है ग़म, सीने में अटका है दम, सब देखे कर के जतन, होता ही नहीं दर्द कम, इतना भी तो न कर सितम इतना भी न बन बे रहम, क

मन के बंद कमरों को लौट चलने की सलाह देता एक रॉक गीत कृष्ण राजकुमार की आवाज़ में

Season 3 of new Music, Song # 04 दो स्तों, आवाज़ संगीत महोत्सव, सत्र ३ के चौथे गीत की है आज बारी. बतौर संगीतकार- गीतकार जोड़ी में ऋषि एस और सजीव सारथी ने गुजरे पिछले दो सत्रों में सुबह की ताजगी , मैं नदी , जीत के गीत , और वन वर्ल्ड , जैसे बेहद चर्चित और लोकप्रिय गीत आपकी नज़र किये हैं. इस सत्र में ये पहली बार आज साथ आ रहे हैं संगीत का एक नया (कम से कम युग्म के लिए) जॉनर लेकर, जी हाँ रॉक संगीत है आज का मीनू, रॉक संगीत में मुख्यता लीड और बेस गिटार का इस्तेमाल होता है जिसके साथ ताल के लिए ड्रम का प्रयोग होता है, अमूमन इस तरह के गीतों में एक लीड गायक/गायिका को सहयोग देने को एक या अधिक बैक अप आवाजें भी होती हैं. रॉक हार्ड और सोफ्ट हो सकता है. सोफ्ट रॉक अक्सर एक खास थीम को लेकर रचा जाता है. फिल्म "रॉक ऑन" के गीत इसके उदाहरण हैं. इसी तरह के एक थीम को लेकर रचा गया आज का ये सोफ्ट रॉक गीत है कृष्ण राज कुमार की आवाज़ में, जिन्हें ऋषि ने खुद अपनी आवाज़ में बैक अप दिया है. कृष्ण राज कुमार बतौर संगीत/गायक युग्म में पधारे थे " राहतें सारी " गीत के साथ. काव्यनाद के लिए आयोजित प्रति

मन बता मैं क्या करूँ...उलझे मन की बरसों पुरानी गुत्थियों को संगीत के नए अंदाज़ का तड़का

Season 3 of new Music, Song # 02 न ए संगीत के तीसरे सत्र की दूसरी कड़ी में हम हाज़िर हैं एक और ओरिजिनल गीत के साथ. एक बार फिर इन्टरनेट के माध्यम से पुणे और हैदराबाद के तार जुड़े और बना "मन बता" का ताना बाना. जी हाँ आज के इस नए और ताज़ा गीत का शीर्षक है - मन बता. ऋषि एस की संगीत प्रतिभा से आवाज़ के नए पुराने सभी श्रोता बखूबी परिचित हैं. जहाँ पहले सत्र में ऋषि के संगीतबद्ध ३ गीत थे तो दूसरे सत्र में भी उनके ६ गीत सजे. गीतकार विश्व दीपक "तन्हा" के साथ उनकी पैठ जमी, दूसरे सत्र के बाद प्रकाशित विशेष गीत जो खासकर "माँ" दिवस के लिए तैयार किया गया था, " माँ तो माँ है " को आवाज़ पर ख़ासा सराहा गया. तीसरी फनकारा जो इस गीत से जुडी हैं वो हैं, कुहू गुप्ता. कुहू ने "काव्यनाद" अल्बम में महादेवी वर्मा रचित " जो तुम आ जाते एक बार " को आवाज़ क्या दी. युग्म और इंटनेट से जुड़े सभी संगीतकारों को यकीं हो गया कि जिस गायिका की उन्हें तलाश थी वो कुहू के रूप में उन्हें मिल गयी हैं. ऋषि जो अक्सर महिला गायिका के अभाव में दोगाना या फीमेल सोलो रचने से कत