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Showing posts with the label song # 23

एक गीत उन सब के नाम जो आतंक के ख़िलाफ़ खड़े होने की हिम्मत रखते हैं...

दूसरे सत्र के २३ वें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज पिछले ७-८ दिनों में हमने क्या क्या नही देखा. देश की व्यवसायिक राजधानी पर आतंकी हमला, बंधक बने देशी-विदेशी नागरिक, खौफ का नया चेहरा लेकर सर उठाता आतंकवाद, स्तब्ध और सहमा हुआ आम आदमी, एक तरफ़ बेसुराग अंधेरों में स्वार्थ की रोटियां सेकते हमारे कर्णधार तो दूसरी तरफ़ अपनी जान पर खेल कर आतंकियों से लोहा लेते हमारे जांबाज़ देशभक्तों की फौज. इन सब अव्यवस्थाओं के बीच भी कुछ ऐसा हुआ जिसने बुझती उम्मीदों को एक नई रोशनी दे दी. इस राष्ट्रीय आपदा में जैसे पूरा देश, जिसे चंद स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने टुकड़े टुकड़े करने में कोई कसर नही छोडी थी, फ़िर से एक जुट हो गया. जातवाद, प्रांतवाद, धरम और भाषा के नाम पर देश को बांटने वाले देश के अंदरूनी दुश्मनों को पार्श्व में धकेलते हुए पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, हिंदू मुस्लिम, अमीर गरीब, सब की संवेदनायें जैसे एक मत हो गई. एक बेहद अनचाही परिस्थिति से गुजरकर ही सही पर ये क्या कम है की एक सोये हुए देश की अवाम फ़िर से जागृत हो गई. ये हमला सिर्फ़ मुंबई या हिंदुस्तान पर नही है, समस्त इंसानियत के दामन पर है. मानवता...