गाना: रात भर का है मेहमां अँधेरा चित्रपट: सोने की चिड़िया संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार: साहिर गायक, गायिका: रफ़ी, आशा भोंसले मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल न मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले फिर तुझको ये पल न मिलेगा ( रात भर का है मेहमां अँधेरा किसके रोके रुका है सवेरा ) -२ रात जितनी भी संगीन होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी ग़म न कर गर है बादल घनेरा किसके रोके रुका है ... लब पे शिकवा न ला अश्क़ पी ले जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले अब उखड़ने को है ग़म का डेरा किसके रोके रुका है ... यूँ ही दुनिया में आ कर न जाना सिर्फ़ आँसू बहाकर न जाना मुसुराहट पे भी हक़ है तेरा किसके रोके रुका है ... ( आ कोई मिल के तदबीर सोचें सुख के सपनों की ताबीर सोचें ) -२ जो तेरा है वही ग़म है मेरा किसके रोके रुका है ...