सुर संगम- 50 : यादें ‘सुर संगम’ के सभी पाठकों/श्रोताओं का इस स्वर्ण जयन्ती अंक में हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, २ जनवरी २०११ को हमने शास्त्रीय और लोक संगीत से अनुराग रखने वाले रसिकों के लिए इस श्रृंखला का शुभारम्भ किया था। हमारे दल के सर्वाधिक कर्मठ साथी सुजोय चटर्जी ने इस स्तम्भ की नीव रखी थी। उद्देश्य था- शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत-प्रेमियों को एक ऐसा मंच देना जहाँ किसी कलासाधक अथवा किसी संगीत-विधा पर हम आपसे संवाद कायम कर सकें और आपसे विचारों का आदान-प्रदान कर सकें। आज के इस स्वर्ण जयन्ती अंक के माध्यम से हम पिछले एक वर्ष के अंकों का स्वतः मूल्यांकन करेंगे और आपकी सहभागिता का उल्लेख भी करेंगे।