'ख़ून भरी माँग' १९८८ की राकेश रोशन की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी जो एक ऑस्ट्रेलियन मिनि सीरीज़ 'रिटर्ण टू ईडन' (१९८३) से प्रेरीत थी। यह कहानी है एक विधवा की जिसकी हत्या उसी का प्रेमी करना चाहता था, पर वो मौत के मुंह से निकल आती है और अपने प्रेमी से बदला लेती है।
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 815/2011/255
"तन्हा-तन्हा यहाँ पे जीना यह कोई बात है, कोई साथी नहीं तेरा यहाँ यह कोई बात है, किसी को प्यार दे दे, किसी का प्यार ले ले, इस सारे ज़माने में यही प्यारी बात है"। फ़िल्म 'रंगीला' का यह गीत अपने आप में सब कुछ कह देता है। सच ही तो है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है; हवा, पानी, भोजन, आवास के साथ-साथ उसे एक समाज भी चाहिए, मित्र-बन्धु भी चाहिए, तभी उसका पूर्ण रूप से मानसिक विकास हो सकता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बहुत ज़्यादा अन्तर्मुखी होते हैं, बाहर समाज के साथ घुलना-मिलना उन्हें पसन्द नहीं आता या फिर घबराहट महसूस करते हैं। पर ऐसे लोगों के लिए यही सलाह है कि अपने इस कमज़ोरी पर विजय प्राप्त कर थोड़ा सा मेल-मिलाप बढ़ायें, दोस्त बनायें, पर हाँ अच्छे दोस्त ही बनायें। दोस्तों, ये सब उपदेशात्मक बातें मैं आज इसलिए कह गया क्योंकि आज का जो गीत है वह भी कुछ-कुछ यही सीख दे रहा है। जी नहीं, हम 'रंगीला' फ़िल्म का उपर्युक्त गीत नहीं सुनवा रहें, बल्कि आशा भोसले की ही आवाज़ में बिल्कुल इसी थीम पर फ़िल्म 'ख़ून भरी माँग' का वह सुपरहिट गीत सुनवा रहे हैं जिसने ८० के दशक में ख़ूब धूम मचाई थी। "जीने के बहाने लाखों हैं, जीना तुझको आया ही नहीं, कोई भी तेरा हो सकता है, कभी तूने अपनाया ही नहीं"। राजेश रोशन का संगीत और इन्दीवर के बोल।
'ख़ून भरी माँग' १९८८ की राकेश रोशन की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी जो एक ऑस्ट्रेलियन मिनि सीरीज़ 'रिटर्ण टू ईडन' (१९८३) से प्रेरीत थी। यह कहानी है एक विधवा की जिसकी हत्या उसी का प्रेमी करना चाहता था, पर वो मौत के मुंह से निकल आती है और अपने प्रेमी से बदला लेती है। यह फ़िल्म आप में से अधिकतर लोगों नें ही देखी होगी, इसलिए फ़िल्म की कहानी बताने की आवश्यक्ता नहीं। गीतों की बात करें तो इन्दीवर एक ऐसे गीतकार हुए हैं जिन्होंने जीवन दर्शन पर आधारित बहुत से गीत लिखे हैं, जो ज़्यादातर कल्याणजी-आनन्दजी के लिए थे। जहाँ तक प्रस्तुत गीत की बात है, जिसमें किसी को अपना बना लेने की सीख दी जा रही है, तो इंदीवर साहब ख़ुद भी प्यार के भूखे रहे। आनन्दजी नें एक बार एक साक्षात्कार में इंदीवर जी के लिखे "नफ़रत करने वालों के सीने में प्यार भर दूँ" गीत के संदर्भ में कहा था कि ये बेचारे इंदीवर जी हमेशा प्यार के भूखे रहे; बचपन से उनको ज़िन्दगी में माँ-बाप का प्यार नसीब न हुआ, माँ-बाप दोनों जल्दी चले गए तो वे अकेले रह गए। कल्याणजी-आनन्दजी का घर ही एक तरह से उनका घर था। आनन्द जी नें उन्हें एक "फ़ादर फ़ीगर" का दर्जा दिया है। तो लीजिए यह गीत सुनिए, जिसमें दर्शन भी है, प्यार-मोहब्बत की बातें भी हैं, और साथ में है वह थिरकता संगीत जो शायद आपके कदमों को भी थिरका दें।
मित्रों, ये आपके इस प्रिय कार्यक्रम "ओल्ड इस गोल्ड" की अंतिम शृंखला है, ८०० से भी अधिक एपिसोडों तक चले इस यादगार सफर में हमें आप सबका जी भर प्यार मिला, सच कहें तो आपका ये प्यार ही हमारी प्रेरणा बना और हम इस मुश्किल काम को इस अंजाम तक पहुंचा पाये. बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें हम सदा अपनी यादों में सहेज कर रखेंगें. पहले एपिसोड्स से लेकर अब तक कई साथी हमसे जुड़े कुछ बिछड़े भी पर कारवाँ कभी नहीं रुका, पहेलियाँ भी चली और कभी ऐसा नहीं हुआ कि हमें विजेता नहीं मिला हो. इस अंतिम शृंखला में हम अपने सभी नए पुराने साथियों से ये गुजारिश करेंगें कि वो भी इस श्रृखला से जुडी अपनी कुछ यादें हम सब के साथ शेयर करें....हमें वास्तव में अच्छा लगेगा, आप सब के लिखे हुए एक एक शब्द हम संभाल संभाल कर रखेंगें, ये वादा है.
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें +91-9811036346 (सजीव सारथी) या +91-9878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
Artist(s): Mahendra Kapoor, Lata Lyricist: Sahir Ludhianvi.
Panditji ek mahan violin vadak hone ke saath saath ek vidvan guru the.
Mujhe unse sangeet seekhne ka saubhagya prapt hua.
Aise kalakaaron par articles aate rehne chahiye.
2. YAH GEET RAAG "KAFI" PAR AADHARIT HAI
-मुकेश गर्ग
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