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Showing posts with the label Hind Yugm

इन्टरनेट पर बना पहला इंडो रशियन मैत्री गीत - द्रुज़्बा

"सर पे लाल टोपी रूसी, फ़िर भी दिल है हिन्दुस्तानी...." जब राज कपूर ने चैपलिन अंदाज़ में इस गीत पर कदम थिरकाए, तब वो रूस में इतने लोकप्रिय साबित हुए कि वो और उनकी पूरी टीम रूस में हिन्दुस्तानी भाषा, कला और संस्क्रति की पहचान ही बन गए. १९५० में राजनितिक आवश्यकताओं और व्यापार उद्देश्यों के चलते दोनों देशों के बीच जिस रिश्ते की बुनियाद पड़ी थी कालांतर में संगीत और कला के आदान प्रदान ने उसे एक आत्मीय दोस्ती में तब्दील कर दिया. रूस की झलक फिल्मों में भी खूब रही, राज कपूर की ही "मेरा नाम जोकर" और अभी हालिया प्रर्दशित "दसविदानिया" में भी रुसी कनक्शन देखने को मिला है. एक ऐसा ही मौका हिंद युग्म को भी मिला, जब दिल्ली स्थित रशियन कल्चरल सेंटर ने हिंद युग्म के गीत संगीत प्रभाग से भारत रूस दोस्ती पर एक गीत बनाने का आग्रह किया. हर बार की तरह युग्म की टीम एक बार फ़िर उम्मीदों पर खरी उतरी, और फरवरी के पहले सप्ताह में जो गीत हमने सेंटर को भेजा समीक्षा के लिए, उसे १९ तारिख को होने वाले एक भव्य समारोह के लिए चुन लिया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि इस गीत की सी डी को उसी कार्यक्

दीपावली गली गली बन के खुशी आई रे...

आवाज़ के सभी साथियों और श्रोताओं को दीपावली के पावन पर्व की ढेरों शुभकामनाये,हमारे नियमित श्रोता गुरु कवि हकीम ने हमें इस अवसर पर अपना संदेश इस कविता के माध्यम से दिया - दीप जले प्यार का जीत का ना हार का हर किसी के साथ का हर किसी के हाथ का दीप जले प्यार का तोड़ दे दीवार कों बीच में जो है खडी स्नेह निर्मल की भीत तो दीवार से भी है बड़ी ये दीप ना थके कभी प्रकाश ना रुके कभी ये दीप ना बुझे कभी हर किसी के द्वार का दीप जले प्यार का जीत का ना हार का ............. सुधि से सबके मन खिले सिहर सिहर से ना मिले पलक भीगी ना रहे अलक झीनी ना रहे उज्जवल विलास बन के वो लौ ज्वाला की धार का दीप जले प्यार का जीत का ना हार का.... हिंद युग्म के आंगन में आज हमने कविताओं के दीप जलाये हैं. २४ कवियों की इन २४ कविताओं में गजब की विविधता है. अवश्य आनंद लें. बच्चों की आँखों से भी देखें दिवाली की जगमग . आवाज़ पर हम अपने श्रोताओं के लिए लाये हैं, एक अनूठा गीत. टेलिविज़न पर एक संगीत प्रतियोगिता में चुने गए टॉप १० में से ५ प्रतिभागियों ने मिलकर दीपावली पर अपने श्रोताओं को शुभकामनायें देने के उद्देश्य से इस गीत को रचा. इ

है मुमकिन वो करना तुझे, जो नामुमकिन दुनिया कहे...

दूसरे सत्र के चौदहवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. "पहला सुर" एल्बम में अपने सूफी गीत "मुझे दर्द दे" से धूम मचाने वाले पंजाबी मुंडे एक बार फ़िर लौटे हैं नए सत्र में, एक नए गीत "डरना झुकना छोड़ दे" लेकर. पेरुब के नेतृत्व में जोगी सुरेंदर और अमनदीप कौशल ने गाया है इसे और सजीव सारथी ने लिखे हैं बोल इस नए गीत के. इस गीत के मध्यम से पेरुब एक संदेश देना चाहते हैं आज के युवा वर्ग को उन्हें उम्मीद है कि उनका यह प्रयास हमारे श्रोताओं को पसंद आएगा. The team of sufiyaana singers from ludhiana is back with a bang, Perub composed this new song "darna jhukna" penned by Sajeev Sarathie and sung by Jogi Surender and Aman Deep Kaushal along with Perub.This song has a strong massage for new generation of India, that is way Perub wants this song to be opened a day after Gandhi jayanti. So here we present the song for all our audience. please spare a few moment to give your valuable comment/suggestion about this brand new song तो लीजिये प्रस्तुत है ये नया गीत, जो दो

दोस्तों ने निभा दी दुश्मनी प्यार से...

दूसरे सत्र के ग्यारहवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. ग्यारहवें गीत के साथ हम दुनिया के सामने ला रहे हैं एक और नौजवान संगीतकार कृष्ण राज कुमार को, जो मात्र २२ वर्ष के हैं, और जिन्होंने अभी-अभी अपने B.Tech की पढ़ाई पूरी की है, पिछले १४ सालों से कर्नाटक गायन की दीक्षा ले रहे हैं. कृष्ण का परिचय हिंद युग्म से, "पहला सुर" के संगीतकार निरन कुमार ने कराया, कृष्ण कुमार जिस दिन हिंद युग्म के कविता पृष्ट पर आए, उसी दिन युग्म के वरिष्ट कवि मोहिंदर कुमार की ताजी कविता प्रकाशित हुई थी, कृष्ण ने उसी कविता / गीत को स्वरबद्ध करने का हमसे आग्रह किया. लगभग डेढ़ महीने तक इस पर काम करने के बाद उन्होंने इस गीत को मुक्कमल कर अपनी आवाज़ में हमें भेजा, जिसे हम आज आपके समक्ष लेकर हाज़िर हुए हैं, हम चाहेंगे कि आप इस नए, प्रतिभावान संगीतकार/गायक को अपना प्रोत्साहन और मार्गदर्शन अवश्य दें. गीत को सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें - With this new song, we are introducing another new singer / composer from Cochi, Krishna Raj Kumar, lyrics are provided by another Vattern poet from Hind Yugm, Mohinder Kumar

कहने को हासिल सारा जहाँ था...

दूसरे सत्र के १० वें गीत और उसके विडियो का विश्वव्यापी उदघाटन आज. चलते चलते हम संगीत के इस नए सत्र की दसवीं कड़ी तक पहुँच गए, अब तक के हमारे इस आयोजन को श्रोताओं ने जिस तरह प्यार दिया है, उससे हमारे हौसले निश्चित रूप से बुलंद हुए है. तभी शायद हम इस दसवें गीत के साथ एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं, आज ये नया गीत न सिर्फ़ आप सुन पाएंगे, बल्कि देख भी पाएंगे, यानि "खुशमिजाज़ मिट्टी" युग्म का पहला गीत है जो ऑडियो और विडियो दोनों रूपों में आज ओपन हो रहा है. सुबोध साठे की आवाज़ से हमारे, युग्म के श्रोता बखूबी परिचित हैं, लेकिन अब तक उन्होंने दूसरे संगीतकारों, जैसे ऋषि एस और सुभोजित आदि के लिए अपनी आवाज़ दी है, पर हम आपको बता दें, सुबोध ख़ुद भी एक संगीतकार हैं और अपनी वेब साईट पर दो हिन्दी और एक मराठी एल्बम ( बतौर संगीतकार/ गायक ) लॉन्च कर चुके हैं, युग्म के लिए ये उनका पहला स्वरबद्ध गीत है, जाहिर है आवाज़ भी उनकी अपनी है, संगीत संयोजन में उनका साथ निभाया है, पुणे के चैतन्य अड़कर ने. गीतकार हैं युग्म के एक और प्रतिष्टित कवि, गौरव सोलंकी, जिनका अंदाज़ अपने आप में सबसे जुदा है, तो आनंद लें

मैं अमर के शब्दचित्र में उतरी एक छोटी-सी कविता हूँ...

मैं अमर के शब्दचित्र में उतरी एक छोटी-सी कविता हूँ, है फख्र कि मैं भी उस जैसा कई लोकों का रचयिता हूँ। कहना है विश्व दीपक "तन्हा" का. विश्व दीपक "तन्हा",एक कवि के रूप में इन्टरनेट पर एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नही है,अपनी कविताओं और कहानियो से एक उभरते हुए साहित्यकर्मी के रूप में अपनी पहचान बनने वाले "तन्हा",का लिखा पहला स्वरबद्ध गीत " मेरे सरकार ",पिछले हफ्ते आवाज़ पर ओपन हुआ,और बेहद सराहा गया,आईये मिलते हैं,कवि कथाकार और गीतकार विश्व दीपक तन्हा से,जो हैं इस हफ्ते हिंद युग्म,आवाज़ के उभरते सितारे - अपने बारे में ज्यादा क्या बताऊँ? एक संक्षिप्त परिचय यानि कि intro दे देता हूँ बस । जन्म बिहार के सोनपुर में हुआ, दिनांक २२ फरवरी १९८६ को। अब मैं अपने सोनपुर से आप सब को अवगत करा देता हूँ। मेरा/हमारा सोनपुर हरिहरक्षेत्र के नाम से विख्यात है, जहाँ हरि और हर एक साथ एक हीं मूर्त्ति में विद्यमान है और जहाँ एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। पूरा क्षेत्र मंदिरों से भरा हुआ है। इसलिए बचपन से हीं धार्मिक माहौल में रहा। लेकिन मैं कभी भी पूर्णतया धार्म

कोई हमदम न रहा... किशोर कुमार ( २ )

अवनीश तिवारी लिख रहे हैं हरफनमौला फनकार किशोर कुमार के सगीत सफर की दास्तान, जिसकी पहली कड़ी आप यहाँ पढ़ चुके हैं, अब पढ़ें आगे - साथियों , इस महीने याद करेंगे किशोर कुमार के जीवन के उस दशक की जो उनके भीतर के कुदरती कला को प्रस्तुत कर उनको एक बेजोड़ कलाकार के रूप में स्थापित करता है. १९६०-१९७० का वह दशक हिन्दी फ़िल्म जगत में किशोर के नाम से छाया रहा चाहे अभिनय हो, संगीत बनाना हो या गाना गाना और या फ़िर फिल्मो का निर्देशन, लगभग फिल्मी कला के हर क्षेत्र में किशोर ने सफल प्रयोग किए. किसी साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि उन दिनों वे इतने व्यस्त थे कि एक स्टूडियो से दुसरे स्टूडियो जाते समय, चलती गाडी में ही अगले दिए गए कामों (assignments) की तैयारी करने लगते. इस सुनहरे दशक में किशोर के अभिनय और आवाज़ की कुछ यादगार फिल्मे - १. १९६० - बेवकूफ , गर्ल फ्रेंड गर्ल फ्रेंड फ़िल्म सत्येन बोश की निर्देशित फ़िल्म थी जिसका एक गीत अपनी छाप छोड़ गया गायिका सुधा मल्होत्रा के साथ गाया गीत " कश्ती का खामोश सफर है " यादगार रहा २. १९६१ - झुमरू किशोर के हरफनमौला होने का परिचय देती यह फ़िल्म कभी भुल

हिंद युग्म ने मेरे सपनों को रंग और पंख दिये...

आवाज़ पर हमारे इस हफ्ते के सितारे हैं, शायरा शिवानी सिंह और संगीतकार / गायक रुपेश ऋषि. हिंद युग्म के पहला सुर एल्बम में इस जोड़ी ने मशहूर ग़ज़ल " ये जरूरी नही " का योगदान दिया था, नए सत्र में एक बार फ़िर इनकी ताज़ी ग़ज़ल " चले जाना " को श्रोताओं का भरपूर प्यार मिला... शिवानी जी दिल्ली में रह कर सक्रिय लेखन करती है, साथ ही एक NGO, जो कैंसर पीडितों के लिए काम करती है, के लिए अपना समय निकाल कर योगदान देती है, युग्म से इनका रिश्ता बहुत पुराना है, चलिए पहले जानते हैं शिवानी जी से, कि कैसा रहा हिंद युग्म में उनका अब तक का सफर - शिवानी सिंह - नमस्कार, मेरा प्रसिद्द नाम शिखा शौकीन है, परन्तु काव्य जगत में, मैं शिवानी सिंह के नाम से जानी जाती हूँ ! अब तक मैं करीब ३७० कविताएं लिख चुकी हूँ ! मेरा ९० कविताओं का एक संग्रह `यादों के बगीचे से' नाम से छप चुका है और दूसरा `कुछ सपनो की खातिर' प्रकार्शनार्थ तैयार है ! मैंने बी.ए, एस.सी मिरांडा हाउस , दिल्ली विश्वविद्यालय से की है और बी.एड, हिन्दू कालेज सोनीपत से ! मेरी ग़ज़लों के संग्रह में से "चले जाना" मेरी पसंदीदा ग़ज़ल

वाह उस्ताद वाह ( १ ) - पंडित शिव कुमार शर्मा

संतूर को हम, बनारस घराने के पंडित बड़े रामदास जी की खोज कह सकते हैं, जिनके शिष्य रहे जम्मू कश्मीर के शास्त्रीय गायक पंडित उमा दत्त शर्मा को इस वाध्य में आपर संभावनाएं नज़र आयी. इससे पहले संतूर शत तंत्री वीणा यानी सौ तारों वाली वीणा के नाम से जाना जाता था, जिसके इस्तेमाल सूफियाना संगीत में अधिक होता था. उमा दत्त जी ने इस वाध्य पर बहुत काम किया, और अपने बाद अपने इकलौते बेटे को सौंप गए, संतूर को नयी उंचाईयों पर पहुँचने का मुश्किल काम. अब आप के लिए ये अंदाजा लगना बिल्कुल भी कठिन नही होगा की वो होनहार बेटा कौन है, जिसने न सिर्फ़ अपने पिता के सपने को साकार रूप दिया , बल्कि आज ख़ुद उनका नाम ही संतूर का पर्यावाची बन गया. जी हाँ हम बात कर रहे हैं, संतूर सम्राट पंडित शिव कुमार शर्मा जी की. पंडित जी ने १०० तारों में १६ तार और जोड़े, संतूर को शास्त्रीय संगीत की ताल पर लाने के लिए.अनेकों नए प्रयोग किया, अन्य बड़े नामी उस्तादों के साथ मंत्रमुग्ध कर देने वाली जुगलबंदियां की, और इस तरह कश्मीर की वादियों से निकलकर संतूर देश विदेश में बसे संगीत प्रेमियों के मन में बस गया. पंडित जी ने बांसुरी वादक हरि प्रस

चले जाना कि रात अभी बाकी है...

दूसरे सत्र के आठवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, " पहला सुर " में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि , पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह . शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे". तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें. इस ताज़ी ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें- The team of "ye zaroori nahi" from " pahla sur " is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shi

वो पीपल का पत्ता, है अब भी अकेला...

दूसरे सत्र के छठे गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. आज हम अपने संगीत प्रेमियों के समक्ष लेकर आए हैं, एक और ताज़ी आवाज़, सुदीप यशराज की, ये युग्म के संगीत इतिहास में दूसरी बार है, जब किसी भी गीत के समस्त पक्ष को एक ही कलाकार ने संभाला है. सुदीप ने यह गीत ख़ुद ही लिखा, स्वरबद्ध किया और गाया है, उनका संगीत ताजगी भरा है और हमें यकीं हैं कि नयेपन की कमी जो हमारे कुछ श्रोताओं को महसूस हुई है अब तक, वो इस गीत के साथ दूर हो जायेगी. तो सुनें ये ताज़ा गीत, और अपने विचारों से सुदीप का प्रोत्साहन/मार्गदर्शन करें. गीत सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें. This Friday, we are introducing another very talented upcoming composer and singer, Sudeep Yashraaj to you. Sudeep is here with a new genre of sound, this song has a fresh new feel to it. With a very new way of writing and singing we are sure that he will steal your heart with his "beinteha pyar...". So enjoy this brand new song and do leave your comments as well. To listen to the song, please click on the player Lyrics: Vo o o o o, Beinteha pyar

मैं इस जमीं पे भटकता रहा हूँ सदियों तक...गुलजार

जब रंजना भाटिया "रंजू" ,रूबरू हुई गुलज़ार की कलम के तिलिस्म से ... मैं जब छांव छांव चला था अपना बदन बचा कर कि रूह को एक खूबसूरत जिस्म दे दूँ न कोई सिलवट .न दाग कोई न धूप झुलसे, न चोट खाएं न जख्म छुए, न दर्द पहुंचे बस एक कोरी कंवारी सुबह का जिस्म पहना दूँ, रूह को मैं मगर तपी जब दोपहर दर्दों की, दर्द की धूप से जो गुजरा तो रूह को छांव मिल गई है . अजीब है दर्द और तस्कीं [शान्ति ] का साँझा रिश्ता मिलेगी छांव तो बस कहीं धूप में मिलेगी ... जिस शख्स को शान्ति तुष्टि भी धूप में नज़र आती है उसकी लिखी एक एक पंक्ति, एक एक लफ्ज़ के, साए से हो कर जब दिल गुजरता है, तो यकीनन् इस शख्स से प्यार करने लगता है सुबह की ताजगी हो, रात की चांदनी हो, सांझ की झुरमुट हो या सूरज का ताप, उन्हें खूबसूरती से अपने लफ्जों में पिरो कर किसी भी रंग में रंगने का हुनर तो बस गुलजार साहब को ही आता है। मुहावरों के नये प्रयोग अपने आप खुलने लगते हैं उनकी कलम से। बात चाहे रस की हो या गंध की, उनके पास जा कर सभी अपना वजूद भूल कर उनके हो जाते हैं और उनकी लेखनी में रचबस जाते है। यादों और सच को वे एक नया रूप दे देते है। उदासी

जुलाई के जादूगरों की पहली भिडंत

जैसा की आवाज़ के श्रोता वाकिफ हैं, कि संगीत का ये दूसरा सत्र जुलाई महीने के पहले शुक्रवार से आरंभ हुआ था और दिसम्बर के अन्तिम शुक्रवार तक चलेगा, इस दौरान रीलीस होने वाले तमाम गीतों में से एक गीत को चुना जाएगा " सत्र का सरताज गीत ", लेकिन सरताज गीत बनने के लिए हर गीत को पहले पेश होना पड़ेगा जनता की अदालत में, और फ़िर गुजरना पड़ेगा समीक्षा की परीक्षा से भी, ये समीक्षा करेंगे हिंद युग्म, आवाज़ के लिए संगीत / मीडिया और ब्लॉग्गिंग से जुड़े हमारे वरिष्ट और अनुभवी समीक्षक. हम आपको बता दें, कि समीक्षा के दो चरण होंगे, पहले चरण में ३ निर्णायकों द्वारा, बीते महीने में जनता के सामने आए गीतों की परख होगी और उन्हें अंक दिए जायेंगे, हर निर्णायक के द्वारा दिए गए अंक गीत के खाते में जुड़ते जायेंगे. दूसरे और अन्तिम चरण में, २ निर्णायक होंगे जो जनता के रुझान को भी ध्यान में रख कर अंक देंगे, दूसरे चरण की समीक्षा सत्र के खत्म होने के बाद यानि की जनवरी के महीने में आरंभ होगी, हर गीत को प्राप्त हुए कुल अंकों का गणित लेकर हम चुनेगें अपना - सरताज गीत . तो " जुलाई के जादूगर " गीतों की पहले चरण की

एक चांदनी का झरना बन जाती मैं...

दूसरे सत्र के पांचवे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज. दोस्तो, प्रस्तुत है पांचवा गीत, संगीतकार हैं एक बार फ़िर ऋषि एस , जिनका भी संयोगवश ये पांचवा ही गीत है युग्म के संगीत संग्रह के लिए, साथ में हैं उनके जोडीदार गीतकार सजीव सारथी . ये नए सत्र का पहला फिमेल सोलो गीत है और आवाज़ है मानसी पिम्पले की, जो इससे पहले " बढ़े चलो" में अपनी उपस्थिति बखूबी दर्ज करा चुकी है. तो सुनें और बताएं कैसा लगा आपको ये ताज़ा गीत. गीत को सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें Friends, here we bring another fresh song made through the internet jamming, like many of our earlier songs. This is the first female solo song for this new season, rendered by Mansi Pimpley , composed by Rishi.S and written by Sajeev Sarathie . "Mein nadi..".is essentially a "feel good" song. A song that is intended to make the listener feel natural and playful about life. It reminds people to be happy in life. It reflects this mood through the character of a playful girl. So guys listen to this brand new song and

जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे...

आवाज़ पर आज का दिन समर्पित रहा, अजीम फनकार मोहमद रफी साहब के नाम, संजय भाई ने सुबह वसंत देसाई की बात याद दिलाई थी, वे कहते थे " रफ़ी साहब कोई सामान्य इंसान नही थे...वह तो एक शापित गंधर्व था जो किसी मामूली सी ग़लती का पश्चाताप करने इस मृत्युलोक में आ गया ." बात रूपक में कही गई है लेकिन रफ़ी साहब की शख़्सियत पर एकदम फ़बती है.( पूरा पढ़ें ...) मोहम्मद रफी, ऐतिहासिक हिन्दी सिनेमा जगत का एक ऐसा स्तम्भ जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिल पर अमिट छाप बनाये है, जिनकी सुरीली अद्वितीय आवाज हर रोज हमें दीवाना करती है और जिन्होंने करीब पैंतीस सालों में अपनी अतुलनीय आवाज में मधुर गीतों का एक बड़ा अम्बार हमारे लिये छोड़ा । रफी जी की आवाज एक ऐसी आवाज, जिसने दुःख भरे नगमों से लेकर धूम-धड़ाके वाले मस्ती भरे गीतों सभी को एक बहतरीन गायकी के साथ निभाया, यूँ तो बहुत से नये गायक कलाकारों द्वारा रफी जी की आवाज को नकल करने की कोशिश की गयी और उनको सराहा भी गया परंतु कोई भी मोहम्मद रफी के उस जादू को नही ला सका; शायद कोई कर भी न सके । पुरजोर कोशिशों के बावजूद कोई भी ऐसा गायक रफी साहब की केवल एक-आध आवाज को नकल कर

तेज़ बारिश में कबड्डी खेलना अच्छा लगता है ...

दिल्ली के अनुरूप कुकरेजा हैं, आवाज़ पर इस हफ्ते का उभरता सितारा. इस बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार की ताज़ा स्वरबद्ध ग़ज़ल " तेरे चेहरे पे " बीते शुक्रवार आवाज़ पर आयी और बहुत अधिक सराही गयी. ग़ज़लों को धुन में पिरोना इनका जनून है, और संगीत को ये अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं. फरीदा खानम, मुन्नी बेगम और जगजीत सिंह इन्हे बेहद पसंद हैं, अपने भाई निशांत अक्षर, जो ख़ुद एक उभरते हुए ग़ज़ल गायक हैं, के साथ मिलकर एक एल्बम भी कर चुके हैं. संगीत के आलावा अनुरूप को दोस्तों के साथ घूमना, बेड़मिन्टन, लॉन टेनिस, बास्केट बोंल और क्रिकेट खेलना अच्छा लगता है, मगर सबसे ज्यादा भाता है, तेज़ बारिश ( जो हालाँकि दिल्ली में कम ही नसीब होती है ) में कबड्डी खेलना. जिंदगी को अनुरूप कुछ इन शब्दों में बयां करते हैं - Life always creates new and BIG troubles through which i pass learning new and BIGGER things. Even A failure is a success if analyzed from the other side of it. हमने अनुरूप से गुजारिश की, कि वो हिंद युग्म के साथ उनके पहले संगीत अनुभव के बारे में, यूनि कोड का प्रयोग कर हिन्दी में लिखें, तो उन्होंने

तेरे चेहरे पे, एक खामोशी नज़र आती है...

आवाज़ पर संगीत के दूसरे सत्र के, चौथे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज. संगीत प्रेमियो, इस शुक्रवार, बारी है एक और नए गीत की, और एक बार फ़िर संगीत पटल पर दस्तक दे रहे हैं एक और युवा संगीतकार अनुरूप , जो अपने साथ लेकर आए हैं, ग़ज़ल-गायन में तेज़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती एक आवाज़ निशांत अक्षर . ग़ज़लकार है युग्म के छायाचित्रकार कवि मनुज मेहता . " पहला सुर " की दो ग़ज़लों के कलमकार, निखिल आनंद गिरि का आल इंडिया रेडियो पर साक्षात्कार सुनकर, अनुरूप ने युग्म से जुड़ने की इच्छा जताई और शुरू हुआ संगीत का एक नया सिलसिला. मनुज के बोल और निशांत से स्वर मिलें तो बनी, नए सत्र की यह पहली ग़ज़ल -"तेरे चेहरे पे". तो दोस्तो, आनंद लीजिये इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपनी मूल्यवान टिप्पणियों से इस नई टीम का मार्गदर्शन / प्रोत्साहन करें. ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें - Hind Yugm, once again proudly present another, very young ( just 18 yrs old ) and talented composer, Anuroop from New Delhi, for whom composing ghazal is just natural, this ghazal here has been made keepin

सीखिए गायकी के गुर

गाना आए या न आए,गाना चाहिए...जनाब बाथरूम सिंगिंग छोडिये, और महफिलों की जान बनिए, आवाज़ पर संजय पटेल लेकर आए हैं, नए गायकारों के लिए मशहूर संगीतकार कुलदीप सिंह के सुझाये कुछ नायाब टिप्स... दोस्तो, एक संगीत प्रतियोगिता के संचालन के दौरान, मैंने बतौर निर्णायक उपस्थित, जाने माने संगीतकार कुलदीप सिंह (फ़िल्म साथ-साथ और अंकुश से मशहूर), जिन पर ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह को पहली बार पार्श्व गायन में उतारने का श्रेय भी है, से जानना चाहा कुछ ऐसे मशवरे, जो उभरते हुए नए गायकों, विशेषकर जो सुगम संगीत (गीत, ग़ज़ल,और भजन आदि ) गा रहे हैं या फ़िर इस क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. कुलदीप जी ने जो बातें बतायीं वो आपके साथ बाँट रहा हूँ, एक बार फ़िर "आवाज़" के मध्यम से, तो गायक दोस्तो, नोट कर लीजिये कुछ अनमोल टिप्स : - ज़्यादातर बाल कलाकार अपने गुरू का रटवाया हुआ गाते हैं.गुरूजनों का दायित्व है कि वे इस बात का ख़ास ख़याल रखें कि क्या जो बच्चे को सिखाया जा रहा है, वह उसकी उम्र पर फ़बता है. - कविता/शायरी की समझ सबसे बड़ी चीज़ है.जब गा रहे हैं ' रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ’ तो ये जानना ज़र