Skip to main content

Posts

Showing posts with the label priya

नव पॉडकास्ट कवि सम्मेलन में 20 काव्य-रश्मियों की प्रभा

सुनिए ऑनलाइन कवि सम्मेलन का वार्षिक अंक रश्मि प्रभा पूरे भारत में गरमी अपना तांडव कर रही है। हर तरफ बस एक ही पुकार है कि अल्लाह मेघ दे, पानी दे। कभी-कभी हम जैसे भावुक हृदयवालों का मन होता है कि कहीं से खुदा को खोज निकालें और उससे विनती करें कि कृपया पानी दे दें। खैर फिलहाल हम तो आपके लिए एक ऐसी बारिश लाये हैं जिसमें आप अनुभूतियों की तरह-तरह की बूँदों से भीगेंगे। जी हाँ, आप सही समझे, गर्मी की मार से अल्पकालिक ही सही, एक राहत देने के लिए, हम लेकर हाज़िर हैं जून 2009 का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन लेकर। इस बार के इस कवि सम्मेलन में उचित मेघ का उचित समय पर बरसने का आह्वान किया है रश्मि प्रभा ने और इस बरसात की निरंतरता का प्रयोजन किया है खुश्बू ने। खुशी की बात है कि रश्मि प्रभा के प्रयास से इस कवि सम्मेलन में हर माह नये कवि जुड़ते जा रहे हैं। इस बार भी 9 प्रतिभागी पहली पार इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन का हिस्सा बन रहे हैं। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का यह 12वाँ अंक है। मतलब हिन्द-युग्म के इस आयोजन ने अपना एक वर्ष पूरा कर लिया है। इसमें हमारे श्रोताओं के प्रोत्साहन का बहुत योगदान रहा है। बगैर लम्बी भूमिका के आप

सावन की रिमझिम में उमड़-घुमड़ बरसे पिया......महफ़िल-ए-गज़ल और मन्ना डे

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #०५ अ गर आपसे कहूँ कि हमारे आज के फ़नकार "श्री प्रबोध चंद्र जी" हैं तो लगभग १ या २ फीसदी लोग हीं होंगे जो इन्हें जानने का दावा करेंगे या फिर उतने लोग भी न होंगे। लेकिन यह सच है । अरे-अरे डरिये मत..मैं किसी अजनबी की बात नहीं कर रहा ...जिनकी भी बात कर रहा हूँ उन्हें आप सब जानते हैं। जैसे श्री हरिहर जरिवाला को लोग संजीव कुमार कहते हैं, वैसे हीं हमारे प्रबोध चंद्र जी यानि कि प्रबोध चंद्र डे को लोग उनके उपनाम मन्ना डे के नाम से बेहतर जानते हैं। मन्ना दा ने फिल्म-संगीत को कई कालजयी गीत दिए हैं। चाहे "चोरी-चोरी" का लता के साथ "आजा सनम मधुर चाँदनी में हम" हो तो चाहे "उपकार" का कल्याण जी-आनंद जी की धुनों पर "कसमें-वादे प्यार वफ़ा" हो या फिर सलिल चौधरी के संगीत से सजी "आनंद" फिल्म की "ज़िंदगी कैसी है पहेली" हो, मन्ना दा ने हर एक गाने में हीं अपनी गलाकारी का अनूठा नमूना पेश किया है। चलिये अब आज के गाने की ओर रूख करते हैं। २००५ में रीलिज हुई "सावन की रिमझिम मे" नाम के एक एलबम में मन्ना दा के लाजवाब पंद्र