स्वरगोष्ठी – 326 में आज     पावस ऋतु के राग – 1 : आषाढ़ के पहले मेघ का स्वागत     “गरजे घटा घन कारे कारे, पावस रुत आई...”               पं. अजय चक्रवर्ती     खुर्शीद बानो    ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक  स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से हमारी नई श्रृंखला – “पावस ऋतु के  राग” आरम्भ हो रही है। श्रृंखला की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी  सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता  हूँ। इस श्रृंखला में हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक  आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़  में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित  कीजिएगा। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और  रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा  ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के  अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध  कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधा...