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फुल टू एटीटियुड, दे दे तू ज़रा....अपनी नयी आवाज़ में हिमेश बजा रहे हैं मन का रेडियो

ताजा सुर ताल (20) ताजा सुर ताल में आज हिमेश लौटे हैं नयी आवाज़ में नए गीत के साथ सुजॉय - सजीव, एक गायक संगीतकार ऐसे हैं आज के दौर में जिनके बारे में इतना कहा जा सकता है कि चाहे लाख विवादों से वो घिरे रहे हों, लेकिन उनके गीत संगीत हमेशा कामयाब रहे हैं। कभी उनकी टोपी पहनने की अदा को लेकर लोगों ने मज़ाक बनाया, तो कभी उनके नैसल गायिकी पर लोगों ने समालोचना की। उनके संगीत को सुन कर गुजरात के किसी गाँव में भूतों के सक्रीय हो जाने की भी ख़बर फैली थी। और एक बार तो इन्होने ख़ुद ही आफ़त मोल ली थी एक बड़े संगीतकार के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर के। सजीव - मैं तुम्हारा इशारा समझ गया, तुम हिमेश रेशमिया की ही बात कर रहे हो ना? सुजॉय - बिल्कुल! कहते हैं ना कि 'any publicity is good publicity', तो इन सब कारणों से हिमेश को फ़ायदा ही हुआ। वैसे भी हिमेश जानते हैं कि इस पीढ़ी के जवाँ दिलों पर किस तरह से असर किया जा सकता है। तभी तो उनकी फ़िल्में चले या ना चले, उनका संगीत ज़रूर हिट हो जाता है। शायद ही उनका कोई ऐसा फ़िल्म हो जिसके गानें कामयाब न रहे हों! सजीव - बिल्कुल ठीक कहा तुमने। बहुत दिनों क

"जी" पीढी का 'जागो मोहन प्यारे...' है "यो" पीढी में 'वेक अप सिद...'

ताजा सुर ताल (19) ताजा सुर ताल में आज सुनिए शंकर एहसान लॉय और जावेद अख्तर का रचा ताज़ा तरीन गीत सजीव - सुजॉय, जब भी हमें किसी नई फ़िल्म के लिए पता चलता है कि उसके संगीतकार शंकर एहसान लॉय होंगे, तो हम कम से कम इतना ज़रूर उम्मीद करते हैं कि उस संगीत में ज़रूर कुछ नया होगा, कोई नया प्रयोग सुनने को मिलेगा। तुम्हारे क्या विचार हैं इस बारे में? सुजॉय - जी हाँ बिल्कुल, मैं आप से सहमत हूँ। पिछले दो चार सालों में उनकी हर फ़िल्म हिट रही है। और आजकल चर्चा में है 'वेक अप सिद' का म्युज़िक। सजीव - मैं बस उसी पर आ रहा था कि तुमने मेरी मुँह की बात छीन ली। तो आज हम बात कर रहे हैं शंकर एहसान लॉय के तिकड़ी की और साथ ही उनकी नई फ़िल्म 'वेक अप सिद' की। लेकिन सुजॉय, मुझे इस फ़िल्म के गीतों को सुनकर ऐसा लगा कि इस फ़िल्म के गीतों में बहुत ज़्यादा नयापन ये लोग नहीं ला पाए हैं। सुजॉय - सची बात है। पिछले साल 'रॊक ऒन' में जिस तरह का औफ़ बीट म्युज़िक इस तिकड़ी ने दिया था, इस फ़िल्म के गानें भी कुछ कुछ उसी अंदाज़ के हैं। सजीव - हो सकता है कि इस फ़िल्म में नायक सिद के व्यक्तित्व को इसी तर

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे....इन्दीवर साहब के शब्दों और मुकेश के स्वरों ने इस गीत अमर बना डाला

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 189 मु केश के साथ राज कपूर और शंकर जयकिशन के नाम इस तरह से जुड़े हुए हैं कि ऐसा लगता है जैसे इन्ही के लिए मुकेश ने सब से ज़्यादा गानें गाये होंगे। लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही है। मुकेश जी ने सब से ज़्यादा गानें संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के लिए गाये हैं। ख़ास कर जब दर्द भरे मशहूर गीतों की बात चलती है तो कल्याणजी-आनंदजी के लिए गाए उनके गीतों की एक लम्बी सी फ़ेहरिस्त बन जाती है। आज एक ऐसा ही गीत आपको सुनवा रहे हैं जो मुकेश जी को बेहद पसंद था। मनोज कुमार की सुपर हिट देश भक्ति फ़िल्म 'पूरब और पश्चिम' का यह गीत है "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए"। इंदीवर जी ने इस गीत में प्यार करने का एक अलग ही तरीका इख्तियार किया है कि नायक का प्यार इतना गहरा है कि वह नायिका को जीवन के किसी भी मोड़ पर, किसी भी वक़त, किसी भी हालत में अपना लेगा, नायिका कभी भी उसके पास वापस लौट सकती है। "अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहनेवाले मिल जाएँगे, अभी रूप का एक सागर हो तुम