'ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार, और स्वागत है आप सभी का इस 'शनिवार विशेषांक' में। फ़िल्म-संगीत के सुनहरे दौर के बहुत से ऐसे कमचर्चित संगीतकार हुए हैं जिन्होंने बहुत ही गिनी चुनी फ़िल्मों में संगीत दिया, पर संख्या में कम होने की वजह से ये संगीतकार धीरे धीरे हमारी आँखों से ओझल हो गये। हम भले इनके रचे गीतों को यदा-कदा सुन भी लेते हैं, पर इनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है। यहाँ तक कि कई बार इनकी खोज ही नहीं मिल पाती, ये जीवित हैं या नहीं, सटीक रूप से कहा भी नहीं जा सकता। और जिस दिन ये संगीतकार इस जगत को छोड़ कर चले जाते हैं, उस दिन उनके परिवार वालों के सहयोग से किसी अख़्बार के कोने में यह ख़बर छप जाती है कि फ़लाना संगीतकार नहीं रहे। पिछले महीने एक ऐसे ही कमचर्चित संगीतकार हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गये। लीवर की बीमारी से ग्रस्त, ७८ वर्ष की आयु में संगीतकार दान सिंह नें १८ जून को अंतिम सांस ली। दान सिंह का नाम लेते ही फ़िल्म 'माइ लव' के दो गीत "वो तेरे प्यार का ग़म" और "ज़िक्र होता है जब क़यामत का...