ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 436/2010/136 न मस्कार दोस्तों! सावन की रिमझिम फुहारों का आनंद इन दिनों आप ले रहे होंगे अपनी अपनी जगहों पर। और अगर अभी तक बरखा रानी की कृपा दृष्टि आप के उधर नहीं पड़ी है, तो कम से कम हमारी इस लघु शॄंखला के गीतों को सुन कर ही बारिश का अनुभव इन दिनों आप कर रहे होंगे, ऐसा हमारा ख़याल है। युं तो बारिश की फुहारों को "टिप-टिप" या "रिमझिम" के तालों से ही ज़्यादातर व्यक्त किया जाता है, लेकिन आंचलिक भाषाओं में और भी कई इस तरह के विशेषण हो सकते हैं। जैसे कि बंगला में "टापुर टुपुर" का ख़ूब इस्तेमाल होता है। मेरे ख़याल से "टापुर टुपुर" की बारिश "टिप टिप" के मुक़ाबले थोड़ी और तेज़ वाली बारिश के लिए प्रयोग होता है। तो दोस्तों, धीरे धीरे आप समझने लगे होंगे कि हम किस गीत की तरफ़ बढ़ रहे हैं आज की इस कड़ी में। जी हाँ, रवीन्द्र जैन की लिखी और धुनों से सजी सन् १९७७ की फ़िल्म 'पहेली' का एक बड़ा ही ख़ूबसूरत गीत, सुरेश वाडकर और हेमलता की युगल आवाज़ों में - "सोना करे झिलमिल झिलमिल, रूपा हँसे कैसे खिलखिल, आहा आहा बॄष्टि पड...