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ज़ुल्मतकदे में मेरे.....ग़ालिब को अंतिम विदाई देने के लिए हमने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है जनाब जगजीत सिंह जी को

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८० आ ज से कुछ दो या ढाई महीने पहले हमने ग़ालिब पर इस श्रृंखला की शुरूआत की थी और हमें यह कहते हुए बहुत हीं खुशी हो रही है कि हमने सफ़लतापूर्वक इस सफ़र को पूरा किया है क्योंकि आज इस श्रृंखला की अंतिम कड़ी है। इस दौरान हमने जहाँ एक ओर ग़ालिब के मस्तमौला अंदाज़ का लुत्फ़ उठाया वहीं दूसरी ओर उनके दु:खों और गमों की भी चर्चा की। ग़ालिब एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें महज दस कड़ियों में नहीं समेटा जा सकता, फिर भी हमने पूरी कोशिश की कि उनकी ज़िंदगी का कोई भी लम्हा अनछुआ न रह जाए। बस यही ध्यान रखकर हमने ग़ालिब को जानने के लिए उनका सहारा लिया जिन्होंने किसी विश्वविद्यालय में तो नहीं लेकिन दिल और साहित्य के पाठ्यक्रम में ग़ालिब पर पी०एच०डी० जरूर हासिल की है। हमें उम्मीद है कि आप हमारा इशारा समझ गए होंगे। जी हाँ, हम गुलज़ार साहब की हीं बात कर रहे हैं। तो अगर आपने ग़ालिब पर चल रही इस श्रृंखला को ध्यान से पढा है तो आपने इस बात पर गौर ज़रूर किया होगा कि ग़ालिब पर आधारित पहली कड़ी हमने गुलज़ार साहब के शब्दों में हीं तैयार की थी, फिर तीसरी या चौथी कड़ी को भी गुलज़ार साहब ने संभाला था..... अब...

मेरी आवाज ही पहचान है : पंचम दा पर विशेष, (दूसरा भाग)

सत्तर के दशक के बारे में कहते हैं, लोग चार लोगों के दीवाने थे : सुनील गावस्कर,अमिताभ बच्चन, किशोर कुमार और आर डी बर्मन | गावस्कर का खेल के मैदान में जाना, अमिताभ का परदे पर आना और किशोर कुमार का गाना सबके लिए उतना ही मायने रखता था जितना आर डी का संगीत | भारत में लोग संगीत के साथ जीते हैं,आखिरी दम तक संगीत किसी न किसी तरह से हमसे जुड़ा होता है और इस लिहाज से आर डी बर्मन ने हमारे जीवन को कभी न कभी, किसी न किसी तरह छुआ जरुर है | यह अपने आप में आर डी के संगीत की सादगी और श्रेष्ठता दोनों का परिचायक है | किशोर, आर डी और अमिताभ ने क्या खूब रंग जमाया था फ़िल्म "सत्ते पे सत्ता" के सदाबहार गाने में, सुनिए और याद कीजिये - उनके गाने अब तक कितनी बार रिमिक्स,'इंस्पिरेशन' आदि आदि के नाम पर बने हैं, इसके आंकड़े भी मिलना मुश्किल है |आख़िर उनका संगीत पुराना होकर भी उतना ही नया कैसे लगता है, इस बात पर भी गौर करना जरुरी है |आर डी ने कभी भी प्रयोग करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई |वह हमेशा नौजवानों को दिमाग में रख कर धुनें तैयार करते थे, और एक एक धुन पर काफ़ी कड़ी मेहनत करते थे| जब भी उचित लग...