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"अंगना आयेंगे साँवरिया..." - देवेन वर्मा को श्रद्धांजलि, उन्हीं के गाये इस गीत के माध्यम से

एक गीत सौ कहानियाँ - 47   देवेन वर्मा की आवाज़ में सुनिए- ‘अँगना आयेंगे साँवरिया ... ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 47-वीं कड़ी में आज श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं अभिनेता देवेन वर्मा को उन्हीं के गाए 'दूसरा आदमी' फ़िल्म के गीत "अंग

चले आओ सैयां रंगीले मैं वारी रे....क्या खूब समां बाँधा था इस विवाह गीत ने

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 378/2010/78 जि स तरह से ५० से लेकर ७० के दशक तक के समय को फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर माना जाता है, वैसे ही अगर समानांतर सिनेमा की बात करें तो इस जौनर का सुनहरा दौर ८० के दशक को माना जाना चाहिए। इस दौर में नसीरुद्दिन शाह, ओम पुरी, शबाना आज़्मी, स्मिता पाटिल, सुप्रिया पाठक, फ़ारुख़ शेख़ जैसे अभिनेताओं ने अपने जानदार अभिनय से इस जौनर को चार चांद लगाए। दोस्तों, मैं तो आज एक बात क़बूल करना चाहूँगा, हो सकता है कि यही बात आप के लिए भी लागू हो! मुझे याद है कि ८० के दशक में, जो मेरे स्कूल के दिन थे, उन दिनों दूरदर्शन पर रविवार (बाद में शनिवार) शाम को एक हिंदी फ़ीचर फ़िल्म आया करती थी, और हम पूरा हफ़्ता उसी की प्रतीक्षा किया करते थे। साप्ताहिकी कार्यक्रम में अगले दिन दिखाई जाने वाली फ़िल्म का नाम सुनने के लिए बेचैनी से टीवी के सामने बैठे रहते थे। और ऐसे में अगर फ़िल्म इस समानांतर सिनेमा के या फिर कलात्मक फ़िल्मों के जौनर से आ जाए, तो हम सब उदास हो जाया करते थे। हमें तो कमर्शियल फ़िल्मों में ही दिलचस्पी रहती थी। लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते गए, वैसे वैसे इन समानांतर फ़िल्