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ऑडियो: ऋता शेखर मधु की लघुकथा ऊधम

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में अनूप शुक्ल का व्यंग्य " बस मुस्कुराते रहें " का वाचन सुना था। आज प्रस्तुत है ऋता शेखर मधु की लघुकथा ऊधम , जिसे स्वर दिया है शीतल माहेश्वरी ने। प्रस्तुत लघुकथा " ऊधम " का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 9 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। अधिकार, एक ऐसा शब्द जो सुख, सुविधा और सहुलियत के दरवाजे खोलता है। कहते हैं जब मनुष्य अपना कर्तव्य करता है तो अधिकार खुद ब खुद मिल जाते हैं। समाज में रहने के लिए कर्तव्य और अधिकार, दोनों आवश्यक हैं। ~  ऋता शेखर मधु हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी बन्दर शाम को यह