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"मेरो गाम काठा पारे...", सफ़ेद-क्रान्ति की ही तरह यह गीत भी पहुँचा था देश के कोने कोने तक

एक गीत सौ कहानियाँ - 42   ‘मेरो गाम काठा पारे. .. ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ से, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ - 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 42-वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'मंथन' के यादगार गीत "मेरो गाम काठा पारे..." के बारे में। 80 का दशक कलात्मक फ़िल्मों का स्वर्ण-युग रहा। जिन फ़िल्मका