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Go Green- दुनिया और पर्यावरण बचाने की अपील- आवाज़ का एक अंतरराष्ट्रीय गीत

हिन्द-युग्म ने इंटरनेट की दुनिया में शुक्रवार की एक नई परम्परा विकसित की है, जिसके अंतर्गत शुक्रवार के दिन इंटरनेटीय जुगलबंदी से रचे गये संगीतबद्ध गीत का विश्वव्यापी प्रदर्शन होता है। हिन्द-युग्म ने संगीत की इस नई और अनूठी परम्परा को देश से निकालकर विदेश में भी स्थापित किया है। वर्ष 2009 में आवाज़ ने भारत में स्थित रूसी दूतावास के लिए भारत-रूस मित्रता के लिए एक गीत 'द्रुज्बा' बनाया था। वह हमारा पहला प्रोजेक्ट था जिसमें हमने एक से अधिक देश की संवेदनाओं को सुरबद्ध किया था। आज हम एक ऐसा गीत लेकर आये हैं, जिसमें अंतर्निहित संवेदनाएँ, चिंताएँ और सम्भावनाएँ वैश्विक हैं। पूरी दुनिया हरियाली के भविष्य को लेकर चिंतित है। यह चिंता पर्यावरणवादियों को खाये जा रही है कि बहुत जल्द पुरी दुनिया फेफड़े भर हवा के लिए मरेगी-कटेगी। हम सब की यह जिम्मेदारी है कि अपनी आने वाली पीढ़ियों को हम कम से कम एक ऐसी दुनिया दे जिसमें हवा-पानी की लड़ाई न हो। शायद इसीलए जो थोड़ा भी संजीदा है, वे 'गो ग्रीन' के साथ है। हमने इस बार फ्यूजन के माध्यम से इसी संदेश को ताज़ा किया है। शास्त्रीय संगीत और पश्विमी

GO GREEN का संदेश दे रहे हैं गुलज़ार, शंकर, एहसान और लॉय

NDTV इंडिया ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागुरुक बनाने के लिए अब संगीत का सहारा लिया है. एक हरे भरे कल का सपना लेकर लगभग ७ महीने पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट ने अब अपने अभियान को और तेज़ करने के लिए एक थीम गीत बनाया है. इस नेक काम में NDTV का साथ दे रहे हैं संगीतकार त्रिमूर्ति शंकर एहसान लोय और गीतकार गुलज़ार. शंकर की आवाज़ में यह गीत यकीनन बहुत कुछ कह जाता है. आवाज़ अपने श्रोताओं के लिए लाया है ये ताज़ा गीत. ख़ुद भी सुनें और सब को सुनवायें. यह संदेश सब तक पहुंचें ताकि हम सब आज पर्यावरण के प्रति सजग बनें ताकि आने वाली पीढी के लिए हम एक बेहतर धरती का निर्माण कर सकें. अपने इस नए गीत पर टिपण्णी करते हुए शंकर कहते हैं - "अगर इस प्रयास से हम १ व्यक्ति के मन भी पर्यावरण के प्रति प्रेम जगा पायें तो अपने काम को सफल मानेंगें." साथी एहसान नूरानी भी काम से बेहद खुश नज़र आए- "संगीत हिंदुस्तान में फिल्मों तक ही सीमित है, यहाँ इसे एक बड़े माध्यम की तरफ़ इस्तेमाल नही किया जाता. हमने इससे पहले भी कैंसर और ऐड्स जागरुकता के लिए भी संगीत के माध्यम से प्रयास किए हैं." लोय मंडोसा भी मानत