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उस्ताद विलायत खाँ से सुनिए राग शंकरा

    स्वरगोष्ठी – 130 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 10 राग शंकरा पर आधारित एक अनूठा गीत ‘बेमुरव्वत बेवफा बेगाना-ए-दिल आप हैं...’ इन दिनों आप ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ का रसास्वादन कर रहे हैं। इस लघु श्रृंखला की दसवीं और समापन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की इस संगोष्ठी में उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत अब तक हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा चुके हैं, जो छः दशक से भी पूर्व की अवधि के हैं। रागों के आधार के कारण ये आज भी सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का हमारा उद्देश्य यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम उन भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपको 1966 की फिल्म ‘सुशीला’ का राग शंकरा पर आधारित एक सदाबहार गीत सुनवाएँगे और इस गीत के स...

नवोदित संगीत प्रतिभाओ के ताज़गी भरे स्वर

स्वरगोष्ठी - विशेष अंक में आज   उत्तर प्रदेश की बाल, किशोर और युवा संगीत प्रतिभाएँ- देवांशु, पूजा, अपूर्वा और भैरवी ‘उत्तर प्रदेश के सुरीले स्वर’  देवांशु घोष को पुरस्कृत करते हुए  महामहिम राज्यपाल अन्य कला-विधाओं की भाँति पारम्परिक संगीत का विस्तार भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक होता रहा है। संगीत की नवोदित प्रतिभाओं को खोजने, प्रोत्साहित करने और उनकी प्रतिभा को सही दिशा देने में कुछ संस्थाएँ संलग्न हैं। इनमें एक नाम जुड़ता है, लखनऊ की संस्था ‘संगीत मिलन’ का। संगीत की शिक्षा, शोध और प्रचार-प्रसार में यह संस्था विगत ढाई दशक से संलग्न है। पिछले दिनों संस्था ने पूरे उत्तर प्रदेश में बाल, किशोर और युवा वर्ग की संगीत प्रतिभाओं को खोजने का अभियान चलाया, जिसका समापन गत रविवार को प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बी.एल. जोशी के हाथों विजेता बच्चों को पुरस्कृत करा कर हुआ। ‘स्वरगोष्ठी’ के आज के विशेष अंक में हम इस प्रतिभा-खोज प्रतियोगिता में चुनी गईं संगीत प्रतिभाओं की गायकी से आपका परिचय कराएँगे। उ न्नीसवीं शताब्दी के उत्तर प्रदेश में संगीत-शिक्षा...