Skip to main content

Posts

Showing posts with the label sangya tandan

‘रस के भरे तोरे नैन...’ : SWARGOSHTHI – 191 : THUMARI BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 191 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 10 : ठुमरी भैरवी ‘आ जा साँवरिया तोहें गरवा लगा लूँ, रस के भरे तोरे नैन...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर पिछले दस सप्ताह से जारी 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ श्रृंखला के इस समापन अंक में आज आप सब संगीत-प्रेमियों का एक बार पुनः कृष्णमोहन मिश्र और संज्ञा टण्डन की ओर से हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हमने आपको कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन कराया जिन्हें फिल्मों में भी शामिल किया जा चुका है। पिछले अंक में हमने आपसे एक ऐसी ठुमरी पर चर्चा की थी, जिसमें नायिका की आँखों के सौन्दर्य का बखान किया गया है। परन्तु आज की ठुमरी में नायक की आँखों के आकर्षण का रसपूर्ण चित्रण किया गया है। आज हम जिस ठुमरी पर चर्चा करेंगे, वह है- ‘आ जा साँवरिया तोहे गरवा लगा लूँ, रस के भरे तोरे नैन...’। प्रत्यक्ष रूप से तो यह ठुमरी श्रृंगार रस प्रधान है किन्तु कुछ समर्थ गायक-गायिकाओं ने इसे कृष्णभक्ति से तो कुछ ने नायिका ...

‘का करूँ सजनी आए न बालम...’ : SWARGOSHTHI – 190 : THUMARI SINDHU BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 190 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 9 : ठुमरी सिन्धु भैरवी विरहिणी नायिका की व्यथा : ‘का करूँ सजनी आए न बालम...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी साथी प्रस्तुतकर्त्ता संज्ञा टण्डन के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इन दिनों हमारी जारी श्रृंखला 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के नौवें अंक में आज हमने एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी का चयन किया है, जिसे कई सुविख्यात गायक-गायिकाओं ने गाया है। इसके अलावा इस ठुमरी के अन्तरों को परिवर्तित कर फिल्म संगीत के रूप में भी आकर्षक प्रयोग किया गया है। इस श्रृंखला में आप कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन भी कर रहे हैं जिन्हें फिल्मों में कभी यथावत तो कभी परिवर्तित अन्तरे के साथ इस्तेमाल किया जा चुका है। फिल्मों मे शामिल ऐसी ठुमरियाँ अधिकतर पारम्परिक ठुमरियों से प्रभावित होती हैं। आज की ठुमरी का पारम्परिक संस्करण भारतीय संगीत के शीर्षस्थ संगीतज्ञ उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ ...

‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय...’ : SWARGOSHTHI – 188 : THUMARI BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 188 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 7 : ठुमरी भैरवी पण्डित भीमसेन और सहगल की आवाज़ में सुनिए लौकिक और आध्यात्मिक भाव का बोध कराती यह कालजयी ठुमरी  ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘ स्वरगोष्ठी ’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी साथी प्रस्तुतकर्त्ता संज्ञा टण्डन के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का अभिनन्दन करता हूँ। इन दिनों जारी हमारी श्रृंखला ' फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी ’ के सातवें अंक में आज हम एक कालजयी पारम्परिक ठुमरी और उसके फिल्मी संस्करण के साथ उपस्थित हैं। इस श्रृंखला में आप कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरि यों का रसास्वादन कर रहे हैं जिन्हें फिल्मों में कभी यथावत तो कभी परिवर्तित अन्तरे के साथ इस्तेमाल किया गया। फिल्मों मे शामिल ऐसी ठुमरियाँ अधिकतर पारम्परिक ठुमरियों से प्रभावित होती हैं। ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ के कुछ स्तम्भ केवल श्रव्य माध्यम से प्रस्तुत किये जाते हैं तो कुछ स्तम्भ आलेख और चित्र , दृश्य माध्यम के साथ और गीत-संगीत श्रव्य माध्यम से प्रस्तुत होते हैं। इस श्रृंखला से...