सुर संगम - 13 - जल तरंग की उमंग जल तरंग असाधारण इसलिए है कि यह एक तालवाद्य भी है और घनवाद्य भी। मूलतः इसमें चीनी मिट्टी की बनी कटोरियों में पानी भर उन्हें अवरोही क्रम(descending order) अथवा पंक्ति अथवा किसी भी और सुविधाजनक समाकृति में सजाया जाता है। फिर इन कटोरियों में अलग-अलग परिमाण में जल भर कर इन्हें रागानुसार समस्वरित(tune) किया जाता है। जब इन कटोरियों पर बेंत अथवा लकड़ी के बने छड़ों से मार की जाती है तब इनकी कंपन से एक मधुर झनकार सी ध्वनि उत्पन्न होती है। न मस्कार! सुर-संगम की एक और संगीतमयी कड़ी में सभी श्रोता-पाठकों का हार्दिक अभिनंदन। कैसी रही आप सब की होली? आशा है सब ने खूब धूम मचाई होगी। मैनें भी हमारे 'ओल्ड इज़ गोल्ड" के साथी सुजॉय दा के साथ मिलकर जम के होली मनाई। ख़ैर अब होली के बादल छट गए हैं और अपने साथ बहा ले गए हैं शीत एवं बसंत के दिनों को, साथ ही दस्तक दे चुकी हैं गरमियाँ। ऐसे में हम सब का जल का सहारा लेना अपेक्षित ही है। तो हमनें भी सोचा कि क्यों न आप सबकी संगीत-पिपासा को शाँत करने के लिए आज की कड़ी भी ऐसे ही किसी वाद्य पर आधारित हो जिसका संबंध जल से है। आ...