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एक गीत सौ अफ़साने || एपिसोड 02 || छोटी सी कहानी से

  एक गीत सौ अफ़साने की दूसरी कड़ी में आज चर्चा फिल्म "इजाजत" के लाजवाब गीत "छोटी सी कहानी से" की  Ek Geet Sau Afsane explores the interesting unknown and unheard back stories of a Song. Every song has its own journey, and every new episode of this program is an attempt to understand the process behind making a song. with program head Sangya Tandon, her dedicated team of podcasters are here to tell these insightful stories that went behind in the process of making a song, enjoy. आप हमारे इस पॉडकास्ट को इन पॉडकास्ट साईटस पर भी सुन सकते हैं  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplaybackdotin@gmail.com

चित्रकथा - 53: पंचम के दो महारथियों का निधन

अंक - 53 पंचम के दो संगीत महारथियों का निधन पंडित उल्हास बापट और अमृतराव काटकर  रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 53-वीं कड़ी है। 4 जनवरी 2018 को सुप्रसिद्ध संतूर वादक पंडित उल्हास बापट और 15 जनवरी 2018 को फ़िल्मी गीतों में रेसो रेसो वाद्य के भीष्म पितामह व जाने-माने संगीत संयोजक व वादक श्री अमृतराव काटकर का निधन हो गया। संयोग की बात है कि इन दोनों संगीत महारथियों ने संगीतकार राहुल देव बर्मन के साथ लम्बा सफ़र तय किया, और उससे भी आश्चर्य की बात यह है कि 4 जनवरी को राहुल देव बर्मन की भी पुण्यतिथि है। इस दु

महफ़िल ए कहकशां -23, "सातों बार बोले बंसी" जैसे नगीनों से सजी है आज की "गुलज़ार-आशा-पंचम"-मयी महफ़िल

महफ़िल ए कहकशाँ 23 पंचम, आशा ताई और गुलज़ार  दो स्तों सुजोय और विश्व दीपक द्वारा संचालित "कहकशां" और "महफिले ग़ज़ल" का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं, "महफिल ए कहकशां" के रूप में पूजा अनिल और रीतेश खरे  के साथ।  अदब और शायरी की इस महफ़िल में आज पेश है गुलज़ार, राहुल देव बर्मन और आशा भोसले की तिकड़ी के सुरीले संगम से निकला एक नगमा 'दिल पडोसी है' एल्बम से|  मुख्य स्वर - पूजा अनिल, रीतेश खरे एवं सजीव सारथी  स्क्रिप्ट - विश्व दीपक एवं सुजॉय चटर्जी

महफ़िल ए कहकशां -22, अपने पडो़सी दिल से भीनी-भीनी भोर की माँग कर बैठे गोटेदार गुलज़ार साहब, आशा जी एवं राग तोड़ी वाले पंचम दा

महफ़िल ए कहकशाँ 22 पंचम, आशा ताई और गुलज़ार  दो स्तों सुजोय और विश्व दीपक द्वारा संचालित "कहकशां" और "महफिले ग़ज़ल" का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं, "महफिल ए कहकशां" के रूप में पूजा अनिल और रीतेश खरे  के साथ।  अदब और शायरी की इस महफ़िल में आज पेश है गुलज़ार, राहुल देव बर्मन और आशा भोसले की तिकड़ी के सुरीले संगम से निकला एक नगमा 'दिल पडोसी है' एल्बम से|  मुख्य स्वर - पूजा अनिल एवं रीतेश खरे स्क्रिप्ट - विश्व दीपक एवं सुजॉय चटर्जी

"सातों बार बोले बंसी" और "जाने दो मुझे जाने दो" जैसे नगीनों से सजी है आज की "गुलज़ार-आशा-पंचम"-मयी महफ़िल

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११० बा द मुद्दत के फिर मिली हो तुम, ये जो थोड़ी-सी भर गई हो तुम, ये वज़न तुम पर अच्छा लगता है.. अभी कुछ दिनों पहले हीं भरी-पूरी फिल्मफेयर की ट्रॉफ़ी स्वीकार करते समय गुलज़ार साहब ने जब ये पंक्तियाँ कहीं तो उनकी आँखों में गज़ब का एक आत्म-विश्वास था, लहजे में पिछले ४८ सालों की मेहनत की मणियाँ पिरोई हुई-सी मालूम होती थीं और बालपन वैसा हीं जैसे किसी पाँचवे दर्ज़े के बच्चे को सबसे सुंदर लिखने या सबसे सुंदर कहने के लिए "इन्स्ट्रुमेंट बॉक्स" से नवाज़ा गया हो। उजले कपड़ों में देवदूत-से सजते और जँचते गुलज़ार साहब ने अपनी उम्र का तकाज़ा देते हुए नए-नवेलों को खुद पर गुमान करने का मौका यह कह कर दे दिया कि "अच्छा लगता है, आपके साथ-साथ यहाँ तक चला आया हूँ।" अब उम्र बढ गई है तो नज़्म भी पुरानी होंगी साथ-साथ, लेकिन "दिल तो बच्चा है जी", इसलिए हर दौर में वही "छुटभैया" दिल हर बार कुछ नया लेकर हाज़िर हो जाता है। यूँ तो यह दिल गुलज़ार साहब का है, लेकिन इसकी कारगुजारियों का दोष अपने मत्थे नहीं लेते हुए, गुलज़ार साहब "विशाल" पर सारा दोष मथ दे