अंक - 64 हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार (भाग-2) "प्यार है अमृत कलश अंबर तले..." ’रेडियो प्लेबैक इंडिया’ के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! फ़िल्म जगत एक ऐसा उद्योग है जो पुरुष-प्रधान है। अभिनेत्रियों और पार्श्वगायिकाओं को कुछ देर के लिए अगर भूल जाएँ तो पायेंगे कि फ़िल्म निर्माण के हर विभाग में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ना के बराबर रही हैं। जहाँ तक फ़िल्मी गीतकारों और संगीतकारों का सवाल है, इन विधाओं में तो महिला कलाकारों की संख्या की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है। आज ’चित्रकथा’ में हम एक शोधालेख लेकर आए हैं जिसमें हम बातें करेंगे हिन्दी फ़िल्म जगत के महिला गीतकारों की, और उनके द्वारा लिखे गए यादगार गीतों की। पिछले अंक में इस लेख का पहला भाग प्रस्तुत किया गया था, आज प्रस्तुत है इसका दूसरा भाग। त्रुटि सुधार ’हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार’ लेख के पहले भाग में हमने जद्दन बाई को प्रथम महिला संगीतकार होने की बात कही थी, जो सही नहीं है। सही नाम है इशरत जहाँ। इशरत जहाँ ने 1934 की फ़िल्म ’अद्ल-ए-जहांगीर’ में संगीत दिया था और जद्द