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Showing posts with the label Abhishek Ojha

अभिषेक ओझा की कहानी संयोग

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने गिरिजेश राव की मार्मिक कहानी " दूसरा कमरा " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अभिषेक ओझा की कहानी " संयोग ", अनुराग शर्मा की आवाज़ में। कहानी "संयोग" का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट ओझा-उवाच पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वास्तविकता तो ये है कि किसे फुर्सत है मेरे बारे में सोचने की, लेकिन ये मानव मन भी न! ~ अभिषेक ओझा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "जैसे लॉटरी में हर बार उसका वही नंबर लगा हो जो लगना चाहिए था। वो पीछे मुड़ कर देखे तो क्या ऐसा नहीं है कि वो इन्हीं सब के लिए ही तो बना था ! चु...

शब्दों के चाक पर - २०

" ज्योति कलश छलके " साल की सबसे अंधेरी रात में दीप इक जलता हुआ बस हाथ में लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी। दीपावली का पर्व प्रकाश का उत्सव है। ज्ञान का प्रकाश, उपहार, उल्लास, और प्रेम के इस पावन पर्व पर "शब्दों के चाक पर" की एक ज्योतिर्मयी प्रस्तुति हमारे श्रोताओं की सेवा में समर्पित है। नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल, उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले, लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी, निशा की गली में तिमिर राह भूले, खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग, ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाए जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। दोस्तों, आज की कड़ी में हमारा विषय है - " ज्योति का पर्व "। जीवन में प्रकाश और तमस की निरंतर चल रही कशमकश की कविताएं पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर अनुराग शर्मा ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें) ...

शब्दों के चाक पर - १९

" दुर्गा की अराधना " और " नदी हूँ, फिर भी प्यासी " पर्वतों से निकली या धरा से फूटी कभी गंगा बन शिव जटा से छूटी मैं जल की धारा ले के बह निकली निस्वार्थ निशचल निर्विकार निर्मल कभी मौन कभी चंचल कहीं बंजर सींचे कहीं पाप धोये सीने पे अपने जाने कितने बांध ढोये दोस्तों, आज की कड़ी में हमारे दो विषय हैं - " दुर्गा की अराधना " और " नदी हूँ, फिर भी प्यासी " है। जीवन के इन दो अलग-अलग पहलुओं की कहानियाँ पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर  शेफाली गुप्ता  ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)  या फिर यहाँ से डाउनलोड करें (राईट क्लिक करके 'सेव ऐज़ चुनें') "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और...

शब्दों के चाक पर - 18

" आओ घोटाला करें " और " आवाज़ दे, कहाँ है " काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में दोस्तों, आज की कड़ी में हमारे दो विषय हैं - " आओ घोटाला करें " और " आवाज़ दे, कहाँ है " है। जीवन के इन दो अलग-अलग पहलुओंकी कहानियाँ पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर  अनुराग शर्मा  ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें) या फिर यहाँ से डाउनलोड करें "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते हो...

शब्दों के चाक पर - 17

"तुम कहाँ हो " और " मेरे सपनों का ताजमहल " दीप की लौ अभी ऊँची, अभी नीची पवन की घन वेदना, रुक आँख मीची अन्धकार अवंध, हो हल्का कि गहरा मुक्त कारागार में हूं, तुम कहाँ हो मैं मगन मझधार में हूं, तुम कहाँ हो ! दोस्तों, आज की कड़ी में हमारे दो विषय हैं - " तुम कहाँ हो " और " मेरे सपनों का ताजमहल " है। जीवन के इन दो अलग-अलग पहलुओंकी कहानियाँ पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर शैफाली गुप्ता ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें) या फिर यहाँ से डाउनलोड करें "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता ...

"मेंहदी लगे हाथ" और "उस बीज की तलाश है"

शब्दों के चाक पर - 16 पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड, झरती रस की धारा अखण्ड, मेंहदी जब सहती है प्रहार, बनती ललनाओं का सिंगार। जब फूल पिरोये जाते हैं, हम उनको गले लगाते हैं। दोस्तों, आज की कड़ी में हमारे दो विषय हैं - " मेंहदी लगे हाथ " और " उस बीज की तलाश है "। जीवन के इन दो अलग-अलग पहलुओंकी कहानियाँ पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र: सरस्वती माथुर, शशि पुरवार, राजेश कुमारी, गुंजन श्रीवास्तव, अमित आनंद पांडे, पूनम जैन कासलीवाल, रिया लव, हर्षवर्धन वर्मा,मुकेश कुमार सिन्हा एवम् कई अन्य कविगण। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर शैफाली गुप्ता ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)   या फिर  यहाँ   से डाउनलोड करें  "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और ...

शब्दों के चाक पर -जीवन चक्र के अभिमन्यु

जीवन चक्र के अभिमन्यु  दोस्तों, ये जीवन भी तो किसी रण से कम नहीं है. यहाँ कोई अर्जुन है तो कोई दुशासन, कोई धोखे से छला गया करण है तो कोई चक्रव्यूह में फंसा अकेला लड़ता अभिमन्यु. जीवन चक्र के इसी महाभारत को दिन प्रतिदिन भोग रहे अभिमन्युओं की कहानियाँ बयां कर रहे हैं आज हमारे कवि मित्र. पोडकास्ट को आवाज़ दी है अभिषेक ओझा ओर शैफाली गुप्ता ने. स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने ओर संयोजन सहयोग है वंदना गुप्ता, अनुराग शर्मा ओर सजीव सारथी का, तो सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये. (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)   या फिर  यहाँ   से डाउनलोड करें  "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे प...

शब्दों के चाक पर - अंक 14- कहानी माटी की...

माटी सभी की कहानी कहेगी अगर मिट्टी अपनी कहानी कहने बैठे तो इसकी कहानी में इंसानों की कई पीढियाँ निकल जाएँगी। अनगिनत इंसानों की अनगिनत जीवन-गाथएँ सिमट जाएँगी इसकी एक कहानी में ... और यकीन मानिए मिट्टी हर एक कहानी कहेगी. कुछ ऐसे ही भाव सजा कर लाये हैं हमारे कवि मित्र आज अपने शब्दों में. जिसे आवाज़ दी है अभिषेक ओझा ओर शैफाली गुप्ता ने. स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने ओर संयोजन सहयोग है वंदना गुप्ता, अनुराग शर्मा ओर सजीव सारथी का, तो सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये. (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)   या फिर  यहाँ   से डाउनलोड करें  "शब्दों के चाक पर" हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि ...

वो लोग ही कुछ और होते हैं - अभिषेक ओझा

'बोलती कहानियां' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने उषा महाजन की कहानी " बचपन " का पॉडकास्ट शेफाली गुप्ता की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अभिषेक ओझा की कहानी " वो लोग ही कुछ और होते हैं ", आवाज़ अनुराग शर्मा की। कहानी "वो लोग ही कुछ और होते हैं" का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 59 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट ओझा-उवाच पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वास्तविकता तो ये है कि किसे फुर्सत है मेरे बारे में सोचने की, लेकिन ये मानव मन भी न! ~ अभिषेक ओझा हर मंगलवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "उस दुपहरी की लू में लोगों को काम करते देख थोड़ी शर्मिन्दगी तो जरुर हुई और शायद यही कारण था कि मैंने उस आदमी पर ध्यान दिया।"...

एक अधूरी सी हसरत...शब्दों में उजागर

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 13 ख्वाब उगते हैं आँखों में, चमकते हैं कुछ तो कुछ मुरझा जाते हैं, तमाम मुक्कमल ओर अधूरी हसरतों के इस खेल में डूबती उतरती है जिंदगी. कुछ ऐसे ही भाव सजा कर लाये हैं हमारे कवि मित्र आज अपने शब्दों में. जिसे आवाज़ दी है अभिषेक ओझा ओर शैफाली गुप्ता ने. स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने ओर संयोजन सहयोग है वंदना गुप्ता, अनुराग शर्मा ओर सजीव सारथी का, तो सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये. (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)   या फिर  यहाँ   से डाउनलोड करें  शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान ...

मैं और मेरा देश....कविताओं में देश प्रेम का उबाल

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 12 शब्दों की चाक पर आज हमारे कवि मित्र लेकर आये हैं "मैं और मेरा देश" विषय पर कुछ लाजवाब कवितायेँ. आवाजें हैं अभिषेक ओझा और शैफाली गुप्ता की. आज की स्क्रिप्ट है अनुराग शर्मा की. प्रस्तुति सहयोग है विश्व दीपक, रश्मि प्रभा और सजीव सारथी का. तो सुनिए देश प्रेम से सराबोर कुछ काव्यात्मक अभिव्यक्तियाँ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)   या फिर  यहाँ   से डाउनलोड करें  शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्...

हमारे बुजुर्ग और हम, समाज को आईना दिखाते शब्द

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 11 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग ...

रेशम की डोरी में छुपे अनगिनित एहसास शब्दों में गुंथे

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 10 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से...

बाल मन की कवितायेँ -चाक से बच्चों की जुबान पर

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 09 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी ...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से  अनुराग शर्मा  जी अपने साथी पोड...

परिवर्तन - एक बोझ या सहज चलन जीवन का

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 08 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से...

ख्वाब क्यों ???...कविताओं में जवाब तलाशता एक सवाल

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 07 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से  ...

झुके हैं शाम के साये शब्दों के आसमान पे

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 06 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से  ...

बिम्ब एक प्रतिबिम्ब अनेक

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 05 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग ...

शब्दों के अंकुर : कविताओं की कोंपलें

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 04 शब्दों की चाक पर हमारे कवि मित्रों के लिए हर हफ्ते होती है एक नयी चुनौती, रचनात्मकता को संवारने  के लिए मौजूद होती है नयी संभावनाएँ और खुद को परखने और साबित करने के लिए तैयार मिलता है एक और रण का मैदान. यहाँ श्रोताओं के लिए भी हैं कवि मन की कोमल भावनाओं उमड़ता घुमड़ता मेघ समूह जो जब आवाज़ में ढलकर बरसता है तो ह्रदय की सूक्ष्म इन्द्रियों को ठडक से भर जाता है. तो दोस्तों, इससे पहले कि  हम पिछले हफ्ते की कविताओं को आत्मसात करें, आईये जान लें इस दिलचस्प खेल के नियम -  1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर...

मानसून की आहटें और कवि मन की छटपटाहटें

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 03 शब्दों की चाक पर निरंतर सज रही हैं कवितायेँ...इस बार हमने थीम दिया था अपने कवियों को "मानसून की आहटें", इससे पहले कि आप ग्रीष्म ऋतु में मानसून की आहटों पर कान धरे हमारे कवियों के मनो भाव सुनें आईये एक बार फिर समझ लें इस कार्यक्रम की रूप रेखा - 1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें कवियों को कोई एक थीम शब्द या चित्र दिया जायेगा जिस पर उन्हें कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल  यहाँ  है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा जी अपने साथी पोडकास्टरों के साथ इन कविताओं में अपनी आवाज़ भरेंगें. और अपने दिलचस्प अंदाज़ में इसे पेश करेगें. 3. हर मंगलवार सुबह ९ से १० के बीच हम इसे अपलोड करेंगें आपके इस प्रिय जाल स्थल पर. अब शुरू होता है कार्यक्रम का दूसरा चरण. ...