भारतीय सिनेमा के सौ साल – 35 कारवाँ सिने-संगीत का ‘आजा तुझे अफ़साना जुदाई का सुनाएँ...’ : नूरजहाँ भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और माह के दूसरे और चौथे गुरुवार को हम ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ के अन्तर्गत हम ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल के सदस्य और हिन्दी फिल्मों के इतिहासकार सुजॉय चटर्जी की प्रकाशित पुस्तक ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ से किसी रोचक प्रसंग का उल्लेख करते हैं। सुजॉय चटर्जी ने अपनी इस पुस्तक में भारतीय सिनेमा में आवाज़ के आगमन से लेकर देश की आज़ादी तक के फिल्म-संगीत की यात्रा को रेखांकित किया है। आज के अंक में हम विभाजन से पूर्व अपनी गायकी से पूरे भारत में धाक जमाने वाली गायिका और अभिनेत्री नूरजहाँ का ज़िक्र करेंगे। ज हाँ एक तरफ़ ए.आर. कारदार और महबूब ख़ान देश-विभाजन के बाद यहीं रह गए, वहीं बहुत से ऐसे कलाकार भी थे जिन्हें पाक़िस्तान चले जाना पड़ा। इनमें एक थीं नूरजहाँ। भार