Skip to main content

Posts

Showing posts with the label ham hain mata-e-koocha o bazar kii tarah

हम हैं मता-ए-कूचा ओ बाज़ार की तरह....फ़िल्मी ग़ज़लों में अग्रणी कही जा सकती है ये रचना

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 201 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' पर आज से छा रहा है फ़रमाइशी रंग एक बार फिर से। शरद तैलंद जी के बाद अब 'ओल्ड इज़ गोल्ड पहेली प्रतियोगिता' के दूसरे विजेयता स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' जी के पसंद के ५ गीतों को सुनने की बारी आ गई है। आज से अगले ५ दिनों तक आप सुनेंगे अदा जी के चुने हुए वो नग़में जो उनके दिल के बहुत करीब हैं, और हमें पूरा यकीन है कि ये गानें आप सभी को उतने ही पसंद आएँगे जितने कि हमें आए हैं। सच पूछिए तो इन गीतों के बारे में लिखते हुए भी मुझे उतनी ही ख़ुशी का अनुभव हो रहा है। तो अदा जी की पसंद का पहला गाना जो हमने चुना है वह है फ़िल्म 'दस्तक' का। जी हाँ, १९७० की वही फ़िल्म 'दस्तक' जिसके लिए संगीतकार मदन मोहन को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मदन मोहन के साथ अक्सर ऐसा हुआ है कि उनकी फ़िल्में वाणिज्यिक दृष्टि से ज़्यादा चली नहीं, लेकिन उनके गीत संगीत ने इतिहास रच दिया। यह फ़िल्म भी उन्ही में से एक है। दोस्तों, इस फ़िल्म का एक गीत "माई री मैं का से कहूँ पीर अपने जिया की" हमने आप को 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की चौथी कड़...