Skip to main content

Posts

Showing posts with the label bilaskhani todi

स्वरगोष्ठी : दिन के दूसरे प्रहर के चटकीले राग

स्वरगोष्ठी – 104 में आज राग और प्रहर – 2 ‘कान्हा रे मुरली काहे ना तू बजाये...’ स्वरगोष्ठी के एक नये अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः सभी संगीत-प्रेमियों की इस बैठक में उपस्थित हूँ। पिछले अंक से हमने ‘राग और प्रहर’ शीर्षक से एक नई लघु श्रृंखला शुरू की है, जिसकी दूसरी कड़ी में आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं, दिन के दूसरे प्रहर के कुछ राग। दूसरे प्रहर में गाये-बजाये जाने वाले इन रागों को आम तौर पर प्रातः 9 बजे से मध्याह्न 12 बजे के बीच प्रयोग किया जाता है। आज के इस अंक में हम आपके लिए प्रस्तुत करेंगे, दूसरे प्रहर के रागों में से क्रमशः गान्धारी, विलासखानी तोड़ी, गुर्जरी तोड़ी और अल्हैया बिलावल। श्रृं खला की पिछली कड़ी में हमने आपसे यह चर्चा की थी कि संगीत के विविध रागों को समय-चक्रों और ऋतु-चक्रों में बाँटा गया है। दिन और रात के चौबीस घण्टे विभिन्न आठ प्रहरों में विभाजित किये गए हैं और रागों को भी इन्हीं आठ प्रहरों में परम्परागत रूप से विभाजित कर गाया-बजाया जाता है। राग और प्रहर के अन्तर्सम्बन्धों के विषय में हमने कुछ संगीत-साधकों से जब चर्चा की तो एक ...