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14 Phere || Film Review || Zee5 || Vikrant Massey || Kirti Kharbanda || Deepak Dua || Susheel P

     सिनेमास्कोप रिव्यूस् के आज के एपिसोड में पेश है, ZEE5 पर रिलीज़ विक्रांत मेस्सी और कीर्ति खरबन्दा अभिनीत फिल्म "14 फेरे" की समीक्षा, जिसे लिखा है दीपक दुआ ने, आवाज है सुशील पी की  listen on YouTube  आप हमारे इस पॉडकास्ट को इन पॉडकास्ट साईटस पर भी सुन सकते हैं  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  To Join the CinemaScope Reviews team, please write to sajeevsarathie@gmail.com  Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplaybackdotin@gmail.com   listen on  YouTube  आप हमारे इस पॉडकास्ट को इन पॉडकास्ट साईटस पर भी सुन सकते हैं  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  To Join the CinemaScope Reviews team, please write to sajeevsarathie@gmail.com  Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplayba...

Interview with Atul Satya Kaushik || Writer, Director || Ek Mulakaat Zaroori Hai || Sajeev Sarathie

 मिलिये लेखक, निर्देशक एवं रंगकर्मी अतुल सत्य कौशिक से, जिनके मंचित नाटक बालीगंज को आधार बनाकर Zee5 ने हाल ही में रिलीस की है फिल्म "रात बाकी है"। अतुल ने अपने अद्भुत परीक्षणों से रंगमंच को एक नया बाजार दिया, आम दर्शकों को रंगमंच से जोड़ने में अतुल का योगदान अभूतपूर्व है।  In conversation with Writer, Director Atul Satya Kaushik  Ek Mulakaat Zaroori Hai with Host Sajeev Sarathie    Technical Support Sangya Tandon  सुनिए  YouTube  पर  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  To Join the Ek Mulkaat Zaroori Hai  team, please write to sajeevsarathie@gmail.com  Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplaybackdotin@gmail.com 

छलिया मेरा नाम || क्यों चली इस गीत के बोलों पर सेन्सर की कैंची || एक गीत सौ अफ़साने || एपिसोड 08

  एक गीत सौ अफ़साने की आठवीं कड़ी॥    राज कपूर की मशहूर फ़िल्म ’छलिया’ और इसके शीर्षक गीत "छलिया मेरा नाम" के बारे में कौन नहीं जानता! पर क्या आपको पता है कि यह गीत जब लिखा गया था, तब इसके मुखड़े और अन्तरों के बोल काफ़ी अलग थे। क्यों चली थी सेन्सर बोर्ड की कैंची इस भोले-भाले से गीत पर? क्यों मुखड़ा और तीनों अन्तरों के बोलों में बदलाव करने पडे गीतकार क़मर जलालाबादी को? और इसी फ़िल्म में रफ़ी साहब का एक गीत क्यों रखा गया और फ़िल्म के अन्त में शीर्षक गीत की झलकी की जगह रफ़ी साहब वाले गीत की झलकी क्यों बजायी गई। आइए आज इन्हीं सब सवालों के जवाब ढूंढ़े फ़िल्म ’छलिया’ के इस शीर्षक गीत की चर्चा के बहाने... Listen on YouTube आप हमारे इस पॉडकास्ट को इन पॉडकास्ट साईटस पर भी सुन सकते हैं  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplaybackdotin@gmail.com