ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 500/2010/200 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार और बहुत बहुत स्वागत है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के इस माइलस्टोन एपिसोड में। एक सुरीला सफ़र जो हमने शुरु किया था २० फ़रवरी २००९ की शाम, वह सफ़र बहुत सारे सुमधुर पड़ावों से होता हुआ आज, ७ अक्तुबर को आ पहुँच रहा है अपने ५००-वें मंज़िल पर। दोस्तों, आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के इस यादगार मौक़े पर हम सब से पहले आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। जिस तरह का प्यार आपने इस स्तंभ को दिया है, जिस तरह से आपने इस स्तंभ का साथ दिया है और इसे सफल बनाया है, उसी का यह नतीजा है कि आज हम इस मुक़ाम तक पहुँच पाये हैं। दोस्तों, इस यादगार शाम को कुछ ख़ास तरीक़े से मनाने के लिए हमने सोचा कि क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए कि जिससे 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का यह ५००-वाँ एपिसोड वाक़ई एक यादगार एपिसोड बन जाए। १४ मार्च, १९३१ भारतीय सिनेमा के लिए एक यादगार दिन था, क्योंकि इसी दिन बम्बई के मजेस्टिक सिनेमा में प्रदर्शित हुई थी इस देश की पहली बोलती फ़िल्म 'आलम आरा'। 'आलम आरा' से ना केवल बोलती फ़िल्मों का दौर शु