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चुलबुले गीतों का चुटीला अंदाज़ खनक रहा है नए दौर की जवानी दीवानी में

प्लेबैक वाणी -4 5 - संगीत समीक्षा - ये जवानी है दीवानी हमारे फिल्मकारों की राय में जवानी हमेशा से ही दीवानी रही है, फिर चाहे ज़माना राज कपूर का हो, ऋषि कपूर का या फिर आज के रणबीर कपूर का, जवानी की दीवानगी में मोहब्बत की नादानियाँ फ़िल्मी परदे पर दर्शकों को लुभाती रहीं हैं. निर्देशक आयन मुखर्जी की नयी पेशकश ये जवानी है दीवानी में संगीत है प्रीतम का और गीतकार हैं अमिताभ भट्टाचार्य. बर्फी की आपार सफलता के बाद प्रीतम और रणबीर का संगम क्या नया गुल खिला रहा है, आईये देखें फिल्म की एल्बम को सुनकर. पहला गीत बदतमीज़ दिल एक रैप गीत है, रेट्रो अंदाज़ का. इस पे भूत कोई चढा है ठहराना जाने न ....गीत की इन पंक्तियों की ही तरह ये गीत भी कहीं रुकता हुआ प्रतीत नहीं होता. एक सांस में इसे गाया है बेनी दयाल ने और उनके साथ है शेफाली अल्वारिस, पर गीत पूरी तरह बेनी का कहा जाना चाहिए. तेज रिदम और चुटकीले शब्द गीत को मजेदार बनाते हैं. पर कहीं न कहीं कुछ कमी से खलती है शायद नयेपन की, जो गीत पूरी तरह दिल को छू नहीं पाता. अगला गीत बालम पिचकारी की शुरुआत बहुत दिलचस्प अंदाज़ में देसी ठाठ से होत...

26/11 की दर्दनाक यादो को मधुर और भावपूर्ण संगीत का मरहम

प्लेबैक वाणी -36 - संगीत समीक्षा - The Attacks of 26/11 राम गोपाल वर्मा की फिल्मों का अपने दर्शकों के साथ धूप छांव का रिश्ता रहा है, या तो उनकी फ़िल्में ताबड तोड़ व्यवसाय करेंगीं या फिर बॉक्स ऑफिस पर औधें मुँह गिर पड़ेंगीं. पर मज़े की बात ये है कि कोई भी कभी भी RGV को सस्ते में लेने की जुर्रत नहीं कर सकता. ‘नॉट अ लव स्टोरी’ से अपनी फॉर्म में वापस आये RGV अब लाये हैं एक ऐसी फिल्म जिस पर मुझे यकीन है हर किसी की नज़र रहेगी, क्योंकि ये फिल्म एक ऐसे कुख्यात आतंकी हमले का बयान है जिसने देश के हर बाशिंदे को हिलाकर रख दिया था और जिससे हर भारतीय की भावनाएं बेहद गहरे रूप में जुडी हुई है. यूँ तो RGV की फिल्मों में गीतों की बहुत अधिक गुन्जायिश नहीं रहती और अमूमन RGV उन्हें एक व्यावसायिक मजबूरी समझ कर ही अपने स्क्रिप्ट का हिस्सा बनाते हैं, पर चूँकि ये फिल्म एक महत्वपूर्ण फिल्म है इसके संगीत की चर्चा भी लाजमी हो जाती है, तो चलिए आज आपसे बांटे कि कैसा है THE ATTACKS OF 26/11 का संगीत. एल्बम की शुरुआत एक नौ मिनट लंबी ग़ज़ल के साथ होता है – हमें रंजों गम से फुर्सत न कभी थी ...

सुधीर मिश्रा निर्देशित इनकार के अच्छे संगीत का इकरार

प्लेबैक वाणी -30 -संगीत समीक्षा - इनकार   सुधीर मिश्रा गंभीर फिल्म निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, उनकी ताज़ा पेशकश भी एक अलग विषय पर केंद्रित है. जहाँ तक संगीत का ताल्लुक है स्वानंद किरकिरे और शांतनु मोइत्रा उनके साथ बहुत सी फिल्मों में संगत बिठा चुके हैं. स्वानंद २०१२ के हमारे सर्वश्रेष्ठ गीतकार रहे हैं एक गैर फ़िल्मी एल्बम  ‘ सत्यमेव जयते ’  के गीत  ‘ ओ री चिरैया ’  गीत के लिए. जहाँ तक फ़िल्मी गीतों का सवाल है वहाँ भी स्वानंद  ‘ बर्फी ’  के शीर्षक गीत को लिखकर श्रोताओं का दिल जीतने में कामियाब रहे थे. आईये देखें वर्ष २०१३ में अपने पसंदीदा संगीतकार शांतनु के साथ उनकी नई कोशिश क्या रंग लेकर आई है. पहले गीत  ‘ दरमियाँ ’  को हम किसी खास श्रेणी में नहीं रख सकते, बल्कि ये जोनर है  ‘ स्वानंद ’  जेनर, जिसमें आप  ‘ बावरा मन ’  और  ‘ खोये खोये चाँद की तलाश में ’  जैसे गीत सुने चुके हैं. गीतकारी का ये अंदाज़ नीरज सरीखा है, शब्द एक बार फिर बेहद दिलचस्प हैं जो पूरे गीत में श्रोताओं को बांधे र...

विशाल और गुलज़ार की जोड़ी है पूरे धूम में

प्लेबैक वाणी -29 -संगीत समीक्षा -  मटरू की बिजली का मंडोला  कहने की जरुरत नहीं कि जब भी गुलज़ार और विशाल एक साथ आते हैं, संगीत प्रेमियों की तो लॉटरी सी लग जाती है. इस बार ये साथ आये हैं “ मटरू की बिजली का मंडोला ’ लेकर. अब जब नाम ही इतना अनूठा हो तो संगीत से उम्मीद क्यों न हों, तो चलिए देखते हैं ‘ माचिस ’ से ‘ सात खून माफ ’ तक लगातार उत्कृष्ट संगीत देने वाली इस जोड़ी की पोटली में अब नया क्या है... एल्बम खुलता है शीर्षक गीत से, जिसके साथ एक लंबे समय बाद गायक सुखविंदर की वापसी हुई है. संगीत संयोजक रंजीत बारोट ने भी उनका साथ दिया है, पर ये गीत पूरी तरह सुखविंदर का ही है. रिदम जबरदस्त है और धुन इतनी सरल है कि सुनते ही जेहन में बस जाता है. गुलज़ार ऐसे गीतों में भी अपने शब्दों को खास अंदाज़ से पेश करने में माहिर हैं. गीत ‘ मास ’ और ‘ क्लास ’ दोनों को प्रभावित करने में सक्षम है. अगला गीत ‘ खामखाँ ’ यूँ तो एक प्रेम गीत है. जिसकी धुन बेहद मधुर है. संगीत संयोजन सरल और सुरीला है और विशाल की आवाज़ गीत पर पूरी तरह से दुरुस्त भी. कोई और संगीतकार होते तो शा...

लिएंडर पेस की राजधानी एक्सप्रेस का संगीत

प्लेबैक वाणी -28 -संगीत समीक्षा - राजधानी एक्सप्रेस दोस्तों नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आप सभी को. वर्ष २०१२ की ही तरह २०१३ भी हम सब के लिए कुछ नया अनुसुना संगीत अनुभव लेकर आये इसी उम्मीद के साथ हम साल की पहली समीक्षा की तरफ बढते हैं. यूँ तो साल के पहले सप्ताह में ही बहुत सी दिलचस्प फ़िल्में प्रदर्शन को तैयार है पर हमें लगा कि इस पहले सप्ताह में हमें ‘राजधानी एक्सप्रेस’ की बातें करनी चाहिए, वजह है इस एल्बम के गायकों में उदित नारायण, शान और सुरेश वाडकर की आवाजों का होना और उससे भी बढ़कर गीतकारों की फेहरिस्त में मिर्ज़ा ग़ालिब की मौजूदगी, आज के दौर में अगर किसी फिल्म में ग़ालिब की ग़ज़ल हो तो उस एल्बम का जिक्र वाजिब बनता है. राजधानी एक्सप्रेस के प्रमुख संगीतकार हैं रितेश नलिनी मगर ग़ालिब की गज़ल के पाश्चात्य संस्करण के लिए आमंत्रित हुए है संगीतकार लाहु माधव भी. तो चलिए जानें इस एल्बम में क्या कुछ है श्रोताओं के लिए.   ‘कोई उम्मीद बर् नहीं आती, कोई सूरत नज़र नहीं आती...’ ग़ालिब साहब की इस मशहूर ग़ज़ल को एल्बम में दो संस्करण मिले हैं, एक पाश्चात्य और एक पारंपरिक. प...

अमित और स्वानंद ने रचा कुछ अलग "इंग्लिश विन्गलिश" के लिए

प्लेबैक वाणी - संगीत समीक्षा : इंग्लिश विन्गलिश  १५ वर्षों के लंबे अंतराल के बाद खूबसूरती की जिन्दा मिसाल और अभिनय के आकाश का माहताब, श्रीदेवी एक बार फिर लौट रहीं है फ़िल्मी परदे पर एक ऐसे किरदार को लेकर जो अपनी अंग्रेजी को बेहतर करने के लिए संघर्षरत है. फिल्म है  “ इंग्लिश विन्गलिश ” . आईये चर्चा करें फिल्म के संगीत की. अल्बम के संगीतकार हैं आज के दौर के पंचम अमित त्रिवेदी और गीतकार हैं स्वानंद किरकिरे. पहला गीत जो फिल्म का शीर्षक गीत भी है पूरी तरह इंग्लिश विन्गलिश अंदाज़ में ही लिखा गया है. गीत के शुरूआती नोट्स को सुनते ही आप को अंदाजा लग जाता है अमित त्रिवेदी ट्रेडमार्क का. कोरस और वोइलन के माध्यम से किसी कोल्लेज का माहौल रचा गया है. स्वानंद ने गीत में बेहद सुंदरता से हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों के साथ खेला है. गीत की सबसे बड़ी खासियत है शिल्पा राव की आवाज़,जिसमें किरदार की सहमी सहमी खुशी और कुछ नया जानने का आश्चर्य बहुत खूब झलकता है. पुरुष गायक के लिए अमित स्वयं की जगह किसी और गायक की आवाज़ का इस्तेमाल करते तो शायद और बेहतर हो पाता.     अगले ...