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चित्रकथा - 18: उस्ताद रईस ख़ाँ के सितार का फ़िल्म संगीत में योगदान

अंक - 18 उस्ताद रईस ख़ाँ के सितार का फ़िल्म संगीत में योगदान "मेरी आँखों से कोई नींद लिए जाता है.."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  6 मई को सुप्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद रईस ख़ाँ साहब के निधन हो जाने से सितार जगत का एक उज्ज्वल नक्षत्र अस्त हो गया। शास्त्रीय संगीत जगत में उनका जितना योगदान रहा है, वैसा ही योगदान उन्होंने सिने संगीत जगत में भी दि...

चित्रकथा - 14: फ़िल्मी गीतों में सितार वादक जयराम आचार्य का योगदान

अंक - 14 सितार वादक जयराम आचार्य को श्रद्धांजलि फ़िल्मी गीतों में जयराम आचार्य का योगदान  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  12 अप्रैल 2017 को सितार वादक, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित, पंडित जयराम आचार्य का निधन हो जाने से फ़िल्म-संगीत के धरोहर को समृद्ध करने वाले उन तमाम गुमनाम टिमटिमाते सितारों में से एक सितारा हमेशा के लिए डूब गया। यह कटु...

राग पहाड़ी : SWARGOSHTHI – 289 : RAG PAHADI

स्वरगोष्ठी – 289 में आज नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 2 : नूरजहाँ का गाया मोहक गीत “जवाँ है मोहब्बत, हसीं है जमाना...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला – “नौशाद के गीतों में राग-दर्शन” की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा करेंगे। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। इस श्रृंखला का समापन हम आगामी 25 दिसम्बर को नौशाद अली के 98वीं जयन्ती के अवसर पर करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता वाहिद अली घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यहीं निकट ही मुख्य मार्ग लाटूश रोड (वर्तमान गौतम बुद्ध मार्ग) पर संगीत क...

उस्ताद विलायत खाँ : ८५वें जन्मदिवस पर एक स्वरांजलि

स्वरगोष्ठी – ८५ में आज जिनके सितार-तंत्र बजते ही नहीं गा ते भी थे ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नये अंक के साथ, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, दो दिन बाद अर्थात २८अगस्त को भारतीय संगीत-जगत के विश्वविख्यात सितार-वादक उस्ताद विलायत खाँ का ८५वाँ जन्म-दिवस है। इस अवसर पर आज हम इस महान कलासाधक के व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण करने के साथ उनकी कुछ विशिष्ट रचनाओं का रसास्वादन भी करेंगे। अ न्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सितारनवाज उस्ताद विलायत खाँ का जन्म २८अगस्त, १९२८ को तत्कालीन पूर्वी बंगाल के गौरीपुर नामक स्थान पर एक संगीतकार परिवार में हुआ था। उनके पिता उस्ताद इनायत खाँ अपने समय के न केवल सुरबहार और सितार के विख्यात वादक थे, बल्कि सितार वाद्य को विकसित रूप देने में भी उनका अनूठा योगदान था। उस्ताद विलायत खाँ के अनुसार सितार वाद्य प्राचीन वीणा का ही परिवर्तित रूप है। इनके पितामह (दादा) उस्ताद इमदाद खाँ अपने समय के रुद्रवीणा-वादक थे। उन्हीं के मन में सबसे पहले सितार में तरब के तारों को जोड़ने का विचार आया था, किन्तु इसे पूरा किया, विलायत ...