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"तेरे मस्त-मस्त दो नैन" गाता हुआ हुड़हुड़ाता आ पहुँचा है एक दबंग, जिसके लिए मुन्नी भी बदनाम हो गई..

ताज़ा सुर ताल ३१/२०१० विश्व दीपक - 'ताज़ा सुर ताल' के इस अंक में हम सभी का स्वागत करते हैं। सुजॊय जी, अब ऐसा लगने लगा है कि साल २०१० के हिट गीतों की फ़ेहरिस्त ने रफ़्तार पकड़ ली है; एक के बाद एक फ़िल्म आती जा रही है और हर फ़िल्म का कोई ना कोई गीत ज़रूर हिट हो रहा है। सुजॊय - हिट गीतों की अगर बात करें तो कभी कभी कामयाब गीतों का फ़ॊरमुला फ़िल्मकारों और कुछ हद तक अभिनेता पर भी निर्भर करता है, ऐसा अक्सर देखा गया है। अब सलमान ख़ान को ही लीजिए, शायद ही उनका कोई फ़िल्म ऐसा होगा, जिसके गानें हिट ना हुए होंगे। वैसे तो उनकी फ़िल्में भी ख़ूब चलती हैं, लेकिन उनके फ़्लॊप फ़िल्मों के गानें भी कम से कम चल पड़ते हैं। विश्व दीपक - ठीक कहा, इसी साल उनकी फ़िल्म 'वीर' बॉक्स ऑफ़िस पर नाकामयाब रही, लेकिन फ़िल्म के गाने चल पड़े थे, ख़ास कर "सलाम आया" गीत तो बहुत पसंद किया गया। पिछले कुछ सालों से सलमान ख़ान की फ़िल्मों में साजिद-वाजिद संगीत दे रहे हैं। 'तेरे नाम' की अपार कामयाबी के बावजूद सल्लु मिया ने हिमेश रेशम्मिया से साजिद वाजिद पर स्विच-ओवर कर लिया था। पिछले साल '

वार्षिक गीतमाला (पायदान २० से ११ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या २० से ११ तक पिछले अंक में हम आपको ३०वीं पायदान से २१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। २० वीं पायदान - पिछले सात दिनों में(रॉक ऑन) रॉक ऑन उन चुंनिदा फिल्मों में से एक है,जिसमें धुन तैयार होने से पहले गीतकार ने अपने गीत लिखे और फिर संगीतकार ने संगीत पर माथापच्ची की है, अमूमन इसका उल्टा होता है। गीत के बोल लीक से हटकर हैं। गाने की पहली पंक्ति हीं इस बात को पुख्ता करती है(मेरी लांड्री का एक बिल)। "दिल चाहता है","लक्ष्य", "डान" जैसी फिल्में बना चुके फरहान अख्तर ने इस फिल्म के जरिये अपने एक्टिंग कैरियर की शुरूआत की है। "अर्जुन रामपाल" को छोड़कर इस फिल्म में फिल्म-जगत का कोई भी नामी कलाकार न था,फिर भी "राक आन" बाक्स-आफिस पर अपना परचम लहराने में सफल हुई। इस फिल्म के सारे गीतों में संगीत दिया है शंकर-अहसान-लाय की तिकड़ी ने तो बोल लिखे हैं फरहान के पिता और जानेमाने लेखक एवं शायर जावेद अख्तर ने।

वार्षिक गीतमाला (पायदान ३० से २१ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या ३० से २१ तक पिछले अंक में हम आपको ४०वीं पायदान से ३१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। ३० वीं पायदान - मेरी माटी (रामचंद पाकिस्तानी) पाकिस्तान के जानेमाने निर्देशक महरीन जब्बार ,जिन्होंने पहचान, कहानियाँ, पुतली घर जैसे नामचीन टीवी धारावाहिकों एवं नाटकों का निर्देशन किया है, "रामचंद पाकिस्तानी" लेकर फिल्म-इंडस्ट्री में उपस्थित हुए हैं। यह फिल्म अपने अनोखे नाम के कारण दर्शकों को आकर्षित करती है। नगरपरकर गाँव में रहने वाली "चंपा"(नंदिता दास द्वारा अभिनीत) की जिंदगी में तब उथलपुथल मच जाता है,जब उसका पति एवं उसका लड़का "रामचंद" अनजाने हीं सरहद पारकर भारत आ जाता है और भारतीय फौज उन्हें घुसपैठिया मान लेती है। यह फिल्म उसी चंपा की दास्तान है। देबज्योति मिश्रा द्वारा संगीतबद्ध एवं अनवर मक़सूद द्वारा लिखित "मेरी माटी" गायकों (शुभा मुद्गल एवं शफ़क़त अमानत अली) की अनोखी जुगलबंदी के कारण श्रोताओं पर असर करने मे

वार्षिक गीतमाला (पायदान ४० से ३१ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या ४० से ३१ तक पिछले अंक में हम आपको ५०वीं पायदान से ४१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। ४० वीं पायदान - आशियाना(फैशन) ४०वें पायदान पर फिल्म "फैशन" का गीत "आशियाना" काबिज़ है। इस गीत के बोल लिखे हैं इरफ़ान सिद्दकी ने और सुरबद्ध किया है सलीम-सुलेमान की जोड़ी ने। इस गीत को सलीम मर्चैंट(सलीम-सुलेमान की जोड़ी से एक) ने अपनी आवाज़ से जीवंत किया है। मधुर भंडारकर की यह फिल्म "फैशन" अपने विषय के साथ-साथ अपने गीतों के कारण भी चर्चा में रही है। ३९ वीं पायदान - अलविदा(दसविदानिया) कैलाश खेर यूँ तो अपनी आवाज़ और संगीत के कारण संगीत-जगत में मकबूल हैं। लेकिन जो बात बहुत कम लोग जानते हैं, वह यह है कि अमूमन अपने सभी गानों के बोल कैलाश हीं लिखते हैं।अलविदा भी उनकी त्रिमुखी प्रतिभा का साक्षात उदाहरण है। "दसविदानिया" अपनी सीधी-सपाट कहानी, हद में किए गए अभिनय और "कौमन मैन" की छवि वाले नायक के कारण फिल्मी जगत क