भूली-बिसरी यादें भाई-बहन के सम्बन्धों पर बनी आरम्भिक दौर की फिल्में भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में आयोजित विशेष श्रृंखला, ‘स्मृतियों के झरोखे से : भारतीय सिनेमा के सौ साल’ के एक नये अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, अपने साथी सुजॉय चटर्जी के साथ आपके बीच उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज मास का तीसरा गुरुवार है और इस दिन हम आपके लिए मूक और सवाक फिल्मों की कुछ रोचक दास्तान लेकर आते हैं। आज भाई-बहनों का महत्त्वपूर्ण पर्व ‘भाईदूज’ है। इस विशेष अवसर पर आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ‘भूली बिसरी यादें’ का एक विशेष अंक। आज हमारे साथी सुजॉय चटर्जी शुरुआती दौर की कुछ ऐसी फिल्मों का ज़िक्र कर रहे हैं जिनमें ‘भाईदूज’ पर्व का उल्लेख हुआ है। भा ई और बहन के अटूट रिश्ते को और भी अधिक मजबूत बनाने के लिए साल में दो त्योहार मनाये जाते हैं, रक्षाबन्धन और भाईदूज। वैसे तो इन दोनों त्योहारों के रस्म लगभग एक जैसे ही हैं, फिर भी रक्षाबन्धन को भाईदूज से ज़्यादा महत्त्व दिया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भाईदूज के दिन यमराज अपनी बहन यमी के घर जाते हैं और यमी उसके मा...