Skip to main content

Posts

Showing posts with the label anuraag kashyap

पाँव की बेड़ियों से आज़ादी लेकर संगीत के नाव के सहारे एक लंबी "उड़ान" भरी है अमित और अमिताभ ने

ताज़ा सुर ताल २६/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' मे सभी श्रोताओं व पाठकों को मेरा नमस्कार, और विश्व दीपक जी आपको भी। विश्व दीपक - सभी को मेरा भी नमस्कार, और सुजॊय जी आपको भी। सुजॊय - फ़िल्मी गीत फ़िल्म की कहानी, किरदार, और सिचुएशन के मुताबिक ही बनाने पड़ते हैं। यानी कि फ़िल्मी गीतों के कलाकारों को एक दायरे में बंधकर ही अपने कला के जोहर दिखाने पड़ते हैं। और अगर फ़िल्म की कहानी ऐसी हो कि जो फ़ॊरमुला फ़िल्मों की कहानी से बिल्कुल हट के हो, अगर उसमें हीरो-हीरोइन वा्ला कॊनसेप्ट ही ना हो, और फ़िल्म के निर्देशक और संगीतकार प्रयोगधर्मी हों, तब ऐसे फ़िल्म के संगीत से हम कुछ ग़ैर पारम्परिक उम्मीदें ही कर सकते हैं। है ना विश्व दीपक जी? विश्व दीपक - सही कहा, और आज हम ऐसी ही एक लीक से बाहर की फ़िल्म 'उड़ान' के गीतों को लेकर उपस्थित हुए हैं। यह फ़िल्म अनुराग कश्यप की है, जिसे निर्देशित किया है विक्रमादित्य मोटवाणी ने। ये वही विक्रमादित्य हैं जिन्होंने "देव-डी" की कहानी लिखी थी। अनुराग की पिछली फ़िल्मों की तरफ़ अगर एक नज़र दौड़ा ली जाए तो 'देव-डी', 'ब्लैक फ़्राइडे&#

अलहदा है पियूष का अंदाज़, तो अलहदा क्यों न हो "गुलाल" का संगीत

वाकई पियूष भाई एक हरफनमौला हैं, क्या नहीं करते वो. एक समय था जब हमारी शामें दिल्ली के मंडी हाउस में बीता करती थी. और जिस भी दिन पियूष भाई का शो होता जिस भी ऑडिटोरियम में वहां हमारा होना भी लाजमी होता. मुझे उनके वो नाटक अधिक पसंद थे जिसे वो अकेले सँभालते थे, यानी अभिनय से लेकर उस नाटक के सभी कला पक्ष. सोचिये एक अकेले अभिनेता द्वारा करीब २ घंटे तक मंच संभालना और दर्शकों को मंत्रमुग्ध करके रखना कितना मुश्किल होता होगा, पर पियूष भाई के लिए ये सब बाएं हाथ का काम होता था. उनके संवाद गहरे असर करते थे, बीच बीच में गीत भी होते थे अक्सर लोक धुनों पर, जिसे वो खुद गाते थे. तो जहाँ तक उनके अभिनेता, निर्देशक, पठकथा संवाद लेखक, और गीतकार होने की बात है, यहाँ तक तो हम पियूष भाई की प्रतिभा से बखूबी परिचित थे, पर हालिया प्रर्दशित अनुराग कश्यप की "गुलाल" में उनका नाम बतौर संगीतकार देखा तो चौंकना स्वाभाविक ही था. गाने सुने तो उनकी इस नयी विधा के कायल हुए बिना नहीं रह सका. तभी तो कहा - हरफनमौला. लीजिये इस फिल्म का ये गीत आप भी सुनें - उनका बचपन ग्वालियर में बीता, दिल्ली के एन एस डी से उत्तीर्ण ह