स्वरगोष्ठी – 278 में आज     मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन – 11 : पुण्यतिथि पर सुरीला स्मरण     “रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएँ तो निभाएँ कैसे...”          ‘रेडियो  प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन दिनों  हमारी श्रृंखला – ‘मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन’ जारी है। अब हम  श्रृंखला के समापन की ओर अग्रसर हैं। श्रृंखला की ग्यारहवीं कड़ी में मैं  कृष्णमोहन मिश्र अपने साथी सुजॉय चटर्जी के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का  एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह श्रृंखला आप तक पहुँचाने के लिए  हमने फिल्म संगीत के सुपरिचित इतिहासकार और ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के  स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी का सहयोग लिया है। हमारी यह श्रृंखला फिल्म जगत के  चर्चित संगीतकार मदन मोहन के राग आधारित गीतों पर केन्द्रित है। श्रृंखला  के प्रत्येक अंक में हम मदन मोहन के स्वरबद्ध किसी राग आधारित गीत की चर्चा  और फिर उस राग की उदाहरण सहित जानकारी दे रहे हैं। आगामी 14 जुलाई को मदन  मोहन की पुण्यतिथि पड़ रही है। इस अवसर पर हम उनकी स्मृतियों को नमन करते है  और उन्हीं के एक उल्लेखनीय गीत के माध्यम से ...