ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 611/2010/311 "हा ये अबला तेरी यही है कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी"; किसी भारतीय नारी के लिए ये शब्द प्राचीन काल से चले आ रहे हैं और कुछ हद तक आज के समाज में भी यही नज़ारा देखने को मिलता है। लेकिन यह भी तो सच है कि आज ज़माना बदल रहा है। आज की महिलाएँ भी पुरुषों के साथ क़दम से क़दम मिला कर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही हैं, और इतना ही नहीं, बहुत जगहों पर पुरुषों को पीछे भी छोड़ रही हैं। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार और बहुत बहुत स्वागत है आप सभी का इस सुरीली महफ़िल में। पिछ्ले ८ मार्च को समूचे विश्व ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया और हर साल यह दिन इसी रूप में मनाया जाता है। हमनें भी ८ मार्च को 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम को सलाम किया था, याद है न? लेकिन हमें लगा कि सिर्फ़ इतना काफ़ी नहीं है। क्योंकि 'ओल्ड इज़ गोल्ड' हिंदी फ़िल्मों पर आधारित स्तंभ है, इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि फ़िल्म जगत की उन महिला कलाकारों को विशेष रूप से याद किया जाये, जिन्होंने विपरीत परिस्थितिओं में रहकर भी न केव