Skip to main content

Posts

Showing posts with the label online release of book

सजीव सारथी के काव्य संग्रह "एक पल की उम्र लेकर" का ऑनलाइन विमोचन और लघु फिल्म "नौ महीने" का प्रीमियर

सजीव सारथी हिंद युग्म से २००७ में जुड़े थे बतौर कवि. युग्म की स्थायी सदस्यता मिलने के बाद वो लगातार १ साल तक निरंतर कविताओं के माध्यम से पाठकों से जुड़े रहे. २००७ के अंतिम महीनों में अल्बम "पहला सुर" पर उन्होंने काम शुरू किया जो इन्टरनेट पर संगीत को नए सिरे से प्रस्तुत करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ. २००८ में रीलिस हुई अल्बम "पहला सुर" संगीत के एक नए युग की शुरुआत लेकर आया. बहुत से नए संगीत कर्मियों ने हिंद युग्म से जुड़ने की इच्छा जाहिर की और यहीं जरुरत महसूस हुई एक नए घटक "आवाज़" के शुभारंभ की. जुलाई २००८ में शुरू हुए आवाज़ ने कुछ ऐसे काम कर दिखाए जिन्हें बड़ी बड़ी संगीत कम्पनियाँ भी अपने बैनर पर करते हिचकते हैं. सजीव ने सुजॉय, अनुराग शर्मा, विश्व दीपक तन्हा, सुमित और रश्मि प्रभा जैसे कार्यकर्ताओं के दम पर आवाज़ का एक बड़ा कुनबा तैयार किया. इसी बीच सजीव का रचना कर्म भी निरंतर जारी रहा. एक गीतकार के रूप में भी और कविता के माध्यम से भी. उनके रेडियो साक्षात्कारों को सुनने के बाद केरल के एक प्रकाशक ने उनकी कविताओं का संग्रह निकालने की पेशकश की. २०११ अ...

एक ऑडियो-वीडियो पुस्तक अमृता-इमरोज़ के नाम

रश्मि प्रभा अमृता-इमरोज़ के प्रेम-सम्बन्धों को अमृता की कविताओं और इमरोज़ की पेंटिंगों के माध्यम से देखने वालों ने जितना महसूसा है, वह उन्हें भावातिरेक से उपजी यूटोपिया पर पहुँचा देता है, जहाँ जिस्मानी आकर्षण का ज़ादू भी आध्यात्मिक प्यार की डगर की तरह दिखता है। अमृता की कविताओं के रसज्ञ कविताओं को पढ़कर न तो अपनी बेचैनी ज़ाहिर कर पाते हैं और न किसी तरह का सुकूँन महसूस कर पाते हैं। उन्हें लगता है कि घर की दीवारें, हवा, पानी मौसम, दिन-रात सब तरफ अमृता-इमरोज़ के किस्सों के साये हैं। प्यार के रुहानी सफर की प्रसंशक यदि कोई महिला हो और वह भी कवि हृदयी, तो यह लगभग तयशुदा बात है कि अमृता की नज्मों में वह खुद को उतारने लगती है। अमृता-इमरोज के सम्बंधों में उसे हर तरह के आदर्श प्रेम संबंधों की छाया दिखती है। अमृता की हर अभिव्यक्ति उसे अपनी कहानी लगती है और इमरोज़ की पेंटिंगों से भी कोई न कोई आत्मिक सम्बंध जोड़ लेती है। इसी तरह की एक अति सम्वेदनशील कवयित्री रश्मि प्रभा की आडियो-पुस्तक का विमोचन आज हम अपने श्रोताओं के हाथों करा रहे हैं। रश्मि प्रभा की कविताओं के इस संग्रह ( कुछ उनके नाम ) की ख़ास ...

अपने हाथों कीजिए कहानी-संग्रह 'डर' (नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित) का विमोचन

जैसाकि आपने १२ मार्च को ख़बरों में पढ़ा था कि १४ मार्च २००९ को सुबह ११ बजे हिन्दी भवन, आईटीवो, नई दिल्ली में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथों १३ नई साहित्यिक कृतियों का विमोचन होगा। इन १३ पुस्तकों में हिन्द-युग्म के कहानीकार विमल चंद्र पाण्डेय का प्रथम कहानी-संग्रह 'डर' भी शामिल है। उल्लेखनीय है भारत की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा हर वर्ष दो लेखकों की कृतियों (एक गद्य तथा दूसरा पद्य में) को नवलेखन पुरस्कार दिया जाता है, जिसमें रु २५,००० ना नग़द इनाम और उस संग्रह का प्रकाशन शामिल है। वर्ष २००८ के गद्य का नवलेखन पुरस्कार विमल चंद्र पाण्डेय को उनके पहले कहानी-संग्रह 'डर' के लिए दिया गया है। आज सुबह ११ बजे इस पुस्तक का विमोचन भी होगा, इसी कार्यक्रम में विमल चंद्र पाण्डेय का कथापाठ भी होगा। अभी कुछ महीने पहले से हमने राकेश खण्डेलवाल के पहले कविता (गीत)-संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' का पॉडकास्ट और ऑनलाइन विमोचन कर हिन्दी पुस्तकों के विमोचन करने की परम्परा को नया रूप दिया है। अनुराग शर्मा तथा अन्य ५ कवियों के पहले कविता-संग्रह '...

अँधेरी रात का सूरज - राकेश खंडेलवाल के बहुप्रतीक्षित काव्य संग्रह का ऑनलाइन विमोचन

कौन हूँ मैं, ये मैं भी नहीं जानता, आईने का कोई अक्स बतलायेगा असलियत क्या मेरी, मैं नहीं मानता..." अपने ब्लॉग गीत कलश पर ये परिचय लिखने वाले राकेश खंडेलवाल जी ख़ुद को जाने या न जाने पर समस्त ब्लॉग्गिंग जगत उन्हें उनकी उत्कृष्ट कविताओं के माध्यम से जानता भी है और पहचानता भी है. आज उनकी प्रतीक्षित पुस्तक "अँधेरी रात का सूरज" का लोकार्पण है. चूँकि राकेश जी का प्रवास अमेरिका में है तो औपचारिक विमोचन आज राजधानी मंदिर औडीटोरियम में, वर्जीनिया और वाशिंगटन हिन्दी समिति द्वारा शाम ६.३० बजे डा० सत्यपाल आनंद (उर्दू,हिन्दी,पंजाबी और अंग्रेजी के विश्व प्रसिद्ध लेखक व कवि ), कनाडा से समीर लाल, न्यू जर्सी से अनूप एवं रजनी भार्गव, राले (नार्थ केरोलाइना) से डा० सुधा ढींगरा, न्यू जर्सी से ही सुरेन्द्र तिवारी, फिलाडेल्फिया से घनश्याम गुप्ता की उपस्थिति में होना है, जहाँ स्थानीय कवि एवं साहित्यकारों में श्री गुलशन मधुर ( भारत में विविध भारती के उद्घोषक रहे हैं ) मधु माहेश्वरी, डा० विशाखा ठाकर, बीना टोडी, रेखा मैत्र, डा० सुमन वरदान, डा० नरेन्द्र टंडन भी उपस्तिथ रहेंगे ऐसी सम्भावना है. उधर सीह...