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आम फ़िल्मी संगीत के बेहद अलग है मद्रास कैफे का संगीत

फि ल्म का नाम मद्रास कैफे  क्यों रखा गया है, जब ये सवाल फिल्म के निर्देशक सुजीत सिरकर से पुछा गया तो उनका कहना था कि फिल्म  में इस कैफे को भी एक किरदार की तरह इस्तेमाल किया गया है, हालाँकि ये कैफे कहाँ पर है ये फिल्म में साफ़ नहीं है पर मद्रास कैफे  एक ऐसा कोमन एड्रेस है जो देश के या कहें लगभग पूरे विश्व के सभी बड़े शहरों में आपको मौजूद मिलेगा. विक्की डोनर  की सफलता के बाद सुजीत उस मुद्दे को अपनी फिल्म में लेकर आये हैं जिस पर वो विक्की डोनर से पहले काम करना चाह रहे थे, वो जॉन को फिल्म में चाहते थे और उन्हें ही लेकर फिल्म बनाने का उनका सपना आखिर पूरा हो ही गया. फिल्म की संगीत एल्बम को सजाया है शांतनु मोइत्रा ने. बेहद 'लो प्रोफाइल' रखने वाले शांतनु कम मगर उत्कृष्ट काम करने के लिए जाने जाते हैं, गीतकार हैं अली हया..आईये एक नज़र डालें मद्रास कैफे   के संगीत पर. युवा गायकों की एक पूरी फ़ौज इन दिनों उफान पर है. इनमें से पोपोन एक ऐसे गायक बनकर उभरे हैं जिनकी आवाज़ और अंदाज़ सबसे मुक्तलिफ़ है. बर्फी  में उनका गाया क्यों न हम तुम  भला कौन भूल सकता है....