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जाने कहाँ गए वो दिन कहते थे तेरी राहों में....वाकई कहाँ खो गए वो दिन, वो फनकार

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 107 'रा ज कपूर के फ़िल्मों के गीतों और बातों को सुनते हुए आज हम आ पहुँचे हैं 'राज कपूर विशेष' की अंतिम कड़ी मे। आपको याद होगा कि गायक मुकेश हमें बता रहे थे राज साहब के फ़िल्मी सफ़र के तीन हिस्सों के बारे में। पहला हिस्सा हम आप तक पहुँचा चुके हैं जिसमें मुकेश ने 'आग' का विस्तार से ज़िक्र किया था। दूसरा हिस्सा था उनकी ज़बरदस्त कामयाब फ़िल्मों का जो शुरु हुआ था 'बरसात' से। 'बरसात' के बारे में हम बता ही चुके हैं, अब आगे पढ़िये मुकेश के ही शब्दों में - "ज़बरदस्त, अमीन भाई, फ़िल्में देखिये, 'आवारा', 'श्री ४२०', 'आह', 'जिस देश में गंगा बहती है', और 'संगम'।" एक सड़कछाप नौजवान, 'आवारा', जिस पर दिल लुटाती है एक इमानदार लड़की, 'हाइ सोसायटी' के लोगों का पोल खोलता हुआ 'श्री ४२०', 'आह' मे मौत के साये में ज़िंदगी को पुकारता हुआ प्यार, डाकुओं के बीच घिरा हुआ एक सीधा सच्चा नौजवान, 'जिस देश में गंगा बहती है', और मोहब्बत का इम्तिहान, 'संगम', और उस...