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रूप तेरा मस्ताना...प्यार मेरा दीवाना...रोमांस का समां बाँधती किशोर की आवाज़

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 169 हा ल ही में एक गीत आया था "कभी मेरे साथ कोई रात गुज़ार तुझे सुबह तक मैं करूँ प्यार", जिसमें सेन्सुयसनेस कम और अश्लीलता ज़्यादा थी। अगर हम आज से ४० साल पीछे की तरफ़ चलें, तो फ़िल्म 'आराधना' में आनंद बक्शी साहब ने एक गीत लिखा था "रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना, भूल कोई हम से न हो जाए"। यह गीत भी मादक और कामोत्तेजक था लेकिन अश्लील कदापि नहीं। दोस्तों, हमने इन दोनों गीतों का एक साथ ज़िक्र यह कहने के लिए किया कि उस पुराने दौर में भी इस तरह के सिचुयशन बनते थे, लेकिन उस दौर के फ़िल्मकार, गीतकार व संगीतकार इन पर ऐसे गानें बनाते थे जो स्थान काल व पात्रों का भी न्याय करे और साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि उसका फ़िल्मांकन रुचिकर हो, न कि अश्लील। आज 'दस रूप ज़िंदगी के और एक आवाज़' के अंतर्गत सुनिए किशोर दा की आवाज़ में इसी मादक नशीले गीत को, जिसे सुनकर दिल में हलचल सी होने लगती है। गीत के बोल और संगीत मादक और उत्तेजक तो हैं ही, किशोर दा ने भी उसी अंदाज़ में इसे गाया जिस अंदाज़ की इस गीत को ज़रूरत थी। फ़िल्म 'आराधना'

सफल "हुई" तेरी आराधना (भाग ४), शक्ति सामंता का मुक्कमल फ़िल्मी सफ़र

अब तक आपने पढ़ा - आनंद आश्रम से शुरू हुआ सफ़र.... हावड़ाब्रिज से कश्मीर की कली तक... रोमांटिक फिल्मों के दौर में आराधना की धूम... अब आगे... दोस्तों, शक्ति सामंत की सुरीली फ़िल्म यात्रा की एक और कड़ी के साथ हम हाज़िर हुए हैं आज। शक्तिदा के इस सुरीले सफ़र के हमसफ़र बनकर पिछली कड़ी तक हम पाँव रख चुके थे ७० के दशक में। इससे पहले कि हम शक्तिदा और राजेश खन्ना की दूसरी फ़िल्म का ज़िक्र शुरु करें, 'आराधना' के एक और गाने की शूटिंग से संबधित बात हम आपको बताना चाहेंगे। यह बात शक्तिदा ने विविध भारती के जयमाला कार्यक्रम में फ़ौजी भाइयों को बताया था - "मुझे याद है कि कुल्लू मनाली में राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर के साथ मुझे एक गाना फ़िल्माना था। वो लोग तैयार होके १० बजे के करीब लोकेशन पर पहुँचते थे और ११ बजे पूरी वादी पर अंधेरा छा जाता था। बहुत कोशिशों के बाद भी जब वो लोग ७ बजे लोकेशन पर नहीं पहुँचे तो एक दिन मैनें दोनो को सोने ही नहीं दिया और ५ बजे 'मेक-अप' कराके ७ बजे लोकेशन पर ले गया। और उसके बाद ११ - ११:३० बजे तक हम लोग शूटिंग करते रहे। उसके बाद 'पैक-अप' करके उनको छोड़ दिया। उस

सफल "हुई" तेरी अराधना...शक्ति सामंत पर विशेष (भाग 3)

दोस्तों, शक्ति सामंत के फ़िल्मी सफ़र को तय करते हुए पिछली कड़ी में हम पहुँच गए थे सन् १९६५ में जिस साल आयी थी उनकी बेहद कामयाब फ़िल्म 'कश्मीर की कली'। आज हम उनके सुरीले सफ़र की यह दास्तान शुरु कर रहे हैं सन् १९६६ की फ़िल्म 'सावन की घटा' के एक गीत से। इस फ़िल्म का निर्माण और निर्देशन, दोनो ही शक्तिदा ने किया था और इस फ़िल्म में भी नय्यर साहब का ही संगीत था। गीत: आज कोई प्यार से दिल की बातें कह गया (सावन की घटा) "आज कोई प्यार से दिल की बातें कह गया, मैं तो आगे बढ़ गयी पीछे ज़माना रह गया"। एस. एच. बिहारी के लिखे इस गीत के बोल जैसे शक्तिदा को ही समर्पित थे। 'हावड़ा ब्रिज', 'चायना टाउन', और 'कश्मीर की कली' जैसी 'हिट' फ़िल्मों के बाद इसमें कोई शक़ नहीं रहा कि शक्तिदा फ़िल्म जगत में बहुत ऊपर पहुँच चुके थे। उनका नाम भी बड़े बड़े फ़िल्म निर्माता और निर्देशकों की सूची में शामिल हो गया। और साल दर साल उनकी प्रतिभा और सफलता साथ साथ परवान चढ़ती चली गयी। 'सावन की घटा' के अगले ही साल, यानी कि १९६७ में एक और मशहूर फ़िल्म आयी 'ऐन ईवनिंग इन पैरिस' ज

कोई हमदम न रहा... किशोर कुमार ( २ )

अवनीश तिवारी लिख रहे हैं हरफनमौला फनकार किशोर कुमार के सगीत सफर की दास्तान, जिसकी पहली कड़ी आप यहाँ पढ़ चुके हैं, अब पढ़ें आगे - साथियों , इस महीने याद करेंगे किशोर कुमार के जीवन के उस दशक की जो उनके भीतर के कुदरती कला को प्रस्तुत कर उनको एक बेजोड़ कलाकार के रूप में स्थापित करता है. १९६०-१९७० का वह दशक हिन्दी फ़िल्म जगत में किशोर के नाम से छाया रहा चाहे अभिनय हो, संगीत बनाना हो या गाना गाना और या फ़िर फिल्मो का निर्देशन, लगभग फिल्मी कला के हर क्षेत्र में किशोर ने सफल प्रयोग किए. किसी साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि उन दिनों वे इतने व्यस्त थे कि एक स्टूडियो से दुसरे स्टूडियो जाते समय, चलती गाडी में ही अगले दिए गए कामों (assignments) की तैयारी करने लगते. इस सुनहरे दशक में किशोर के अभिनय और आवाज़ की कुछ यादगार फिल्मे - १. १९६० - बेवकूफ , गर्ल फ्रेंड गर्ल फ्रेंड फ़िल्म सत्येन बोश की निर्देशित फ़िल्म थी जिसका एक गीत अपनी छाप छोड़ गया गायिका सुधा मल्होत्रा के साथ गाया गीत " कश्ती का खामोश सफर है " यादगार रहा २. १९६१ - झुमरू किशोर के हरफनमौला होने का परिचय देती यह फ़िल्म कभी भुल