हम जिक्र कर रहे थे बीसवीं सदी की १० सर्वश्रेष्ठ फिल्मों का प्रतिष्टित हिंदी फिल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज द्वारा चुनी गयी सूची के आधार पर. कल हमने ५ फिल्में किस्मत, आवारा, अलबेला, देवदास, और मदर इंडिया की चर्चा की , आगे बढ़ते हैं - ६. प्यासा (१९५७ ) -गुरुदत्त इस फिल्म के निर्देशक और नायक थे. वहीदा रहमान, माला सिन्हा, जॉनी वाकर, और रहमान थे अन्य प्रमुख भूमिकाओं में. फिल्म के केंद्र में एक प्रतिभाशाली मगर असफल कवि की त्रासदी है जिसे मारा हुआ समझा जाने के बाद खूब बिकने लगता है. जीवित कवि दर दर भटक रहा है पर उसके मृत रूप की पूजा हो रही है. "ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती...", गीतकार शायर साहिर लुधियानवीं ने सुनिया की सच्चाईयों को अपनी कलम से नंगा किया और सचिन देव बर्मन ने अपने संगीत से इस कृति को अमर कर दिया. सुनिए इसी फिल्म से ये गीत - ७. मुग़ल - ए- आज़म (१९६० ) - के आसिफ की इस एतिहासिक फिल्म को बनने में ९ साल लगे. अकबर बने पृथ्वी राज कपूर और शहजादे सलीम की भूमिका निभाई दिलीप कुमार ने. मधुबाला ने अपनी सुन्दरता और अदाकारी से अनारकली को परदे पर जिन्दा कर दिया. फिल्म के संवाद