स्वरगोष्ठी – 423 में आज
खमाज थाट के राग – 4 : राग जयजयवन्ती
पण्डित ज्ञानप्रकाश घोष से राग जयजयवन्ती में एक रचना और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए
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पण्डित ज्ञानप्रकाश घोष |
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लता मंगेशकर |
राग जयजयवन्ती
का सम्बन्ध खमाज थाट से माना जाता है। इस राग का वादी स्वर ऋषभ और संवादी
स्वर पंचम होता है। इसका गायन-वादन रात्रि के दूसरे प्रहर के उत्तरार्द्ध
में किए जाने की परम्परा है। राग जयजयवन्ती को परमेल-प्रवेशक राग कहा जाता
है। इसका कारण यह है कि यह रात्रि के दूसरे प्रहर के अन्तिम समय में
गाया-बजाया जाता है। इस राग के बाद काफी थाट के रागों का समय प्रारम्भ हो
जाता है। राग जयजयवन्ती में खमाज और काफी दोनों थाट के स्वर लगते हैं।
शुद्ध गान्धार खमाज थाट का और कोमल गान्धार काफी थाट का सूचक है। कोमल
गान्धार स्वर का अल्प प्रयोग केवल अवरोह में दो ऋषभ स्वरों के बीच किया
जाता है। रात्रि के दूसरे प्रहर के रागों में राग जयजयवन्ती के अलावा कुछ
अन्य प्रमुख राग हैं- राग नीलाम्बरी, खमाज, आसा, खम्भावती, गोरख कल्याण,
जलधर केदार, मलुहा केदार, श्याम केदार, झिंझोटी, तिलक कामोद, तिलंग,
दुर्गा, देस, नट, नारायणी, नन्द, रागेश्री, शंकरा, सोरठ, हेम कल्याण आदि।
राग जयजयवन्ती के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए आइए सुनते हैं, इस राग
की मोहक बन्दिश। इसे प्रस्तुत कर रहे हैं, सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित
ज्ञानप्रकाश घोष।
राग जयजयवन्ती : “मेरो मन मोहन सों अटक्यो...” : पण्डित ज्ञानप्रकाश घोष
जयजयवन्ती राग, खमाज थाट के अन्तर्गत माना जाता है। इसमें भी दोनों गान्धार और दोनों निषाद स्वर का प्रयोग किया जाता है। यह सम्पूर्ण जाति का राग है, अर्थात इसके आरोह और अवरोह में सात-सात स्वरों का प्रयोग होता है। इस राग का वादी स्वर ऋषभ और संवादी स्वर पंचम होता है। राग जयजयवन्ती का गायन-वादन रात्रि के दूसरे प्रहर के अन्तिम भाग में किया जाता है। आरोह में पंचम के साथ शुद्ध निषाद और धैवत के साथ कोमल निषाद का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में हमेशा कोमल निषाद का प्रयोग होता है। इस राग की प्रकृति गम्भीर है और चलन तीनों सप्तकों में समान रूप से होती है। इस राग में ध्रुवपद, धमार, खयाल, तराना आदि गाये जाते है। इसमें ठुमरी नहीं गायी जाती। यह राग दो अंगों, देस और बागेश्री, में प्रयोग होता है। देस अंग की जयजयवन्ती, जिसमें कभी-कभी बागेश्री अंग भी दिखाया जाता है, प्रचार में अधिक है। लीजिए, अब आप सुनिए, राग जयजयवन्ती के स्वरों में पिरोया मनमोहक फिल्मी गीत। इसे हमने 1955 में बनी फिल्म ‘सीमा’ से लिया है। सुविख्यात पार्श्वगायिका लता मंगेशकर ने इसे गाया है। यह गीत एकताल में निबद्ध है। गीत के संगीतकार शंकर जयकिशन हैं। आप भी यह गीत सुनिए और आज के इस अंक को यहीं विराम देने की हमें अनुमति दीजिए।
राग जयजयवन्ती : “मनमोहना बड़े झूठे...” : लता मंगेशकर : फिल्म सीमा
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 423वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1957 में प्रदर्शित एक
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। 430वें अंक की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
वर्ष 2019 के तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे
वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका की आवाज़ हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 29 जून, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 425 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 421वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म
“मुगल-ए-आजम” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – गारा, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल एवं दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर और साथी।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और किसी अज्ञात स्थान से शिल्पी सिंह।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
मेरी पारिवारिक व्यस्तता के कारण विगत दो सप्ताह तक “स्वरगोष्ठी” का
प्रकाशन बाधित हुआ। इस कारण आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। ‘रेडियो
प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर श्रृंखला “खमाज थाट
के राग” की चौथी कड़ी में आज आपने खमाज थाट के जन्य राग “जयजयवन्ती” का
परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए
सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित ज्ञानप्रकाश घोष के स्वरों में प्रस्तुत एक रचना
का रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित फिल्म “सीमा” से एक मनमोहक
गीत लता मंगेशकर के स्वरों में सुनवाया। संगीतकार शंकर जयकिशन ने इस गीत
को राग जयजयवन्ती के स्वरों में पिरोया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली
कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है।
हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का
अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और
श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी
वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो
हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग जयजयवन्ती : SWARGOSHTHI – 423 : RAG JAYJAYVANTI : 23 जून, 2019