"क़स्मे, वादे, प्यार, वफ़ा, सब बातें हैं..." - जितना यादगार यह गीत है, उतनी ही दिलचस्प है इसके बनने की कहानी
यह बिलकुल ज़रूरी नहीं कि एक अच्छा गीत लिखने के लिए गीतकार को किसी पहाड़ पर या समुंदर किनारे जा कर अकेले में बैठना पड़े। फ़िल्म-संगीत का इतिहास गवाह है कि बहुत से कालजयी गीत यूंही बातों बातों में बन गए हैं। एक ऐसी ही कालजयी रचना है "क़स्मे, वादे, प्यार, वफ़ा, सब बातें हैं बातों का क्या"। रोंगटे खड़े कर देने वाला है यह गीत कैसे बना था, आज उसी विषय पर चर्चा 'एक गीत सौ कहानियाँ' की 18-वीं कड़ी में सुजॉय चटर्जी के साथ... एक गीत सौ कहानियाँ # 18 1967 की मशहूर फ़िल्म 'उपकार' के गीतों की समीक्षा पंकज राग ने अपनी किताब 'धुनों की यात्रा' में कुछ इस तरह से की है - "'उपकार' का सबसे हिट गाना महेन्द्र कपूर की आवाज़ में सदाबहार देशभक्ति गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले" बनकर गुलशन बावरा की कलम से निकला, पर गुलशन के इस गीत और "हर ख़ुशी हो वहाँ तू जहाँ भी रहे" तथा क़मर जलालाबादी के लिखे और विशेष तौर पर मुकेश के गले के लिए आसावरी थाट पर सृजित "दीवानों से ये मत पूछो दीवानों पे क्या गुज़री है" की अपार लोकप्रियता के ब