स्वरगोष्ठी – 204 में आज भारतीय संगीत शैलियों का परिचय : ध्रुपद – 2 गुण्डेचा बन्धुओं और सहगल से सुनिए ध्रुपद के निबद्ध गीत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का मैं कृष्णमोहन मिश्र नई लघु श्रृंखला ‘भारतीय संगीत शैली परिचय’ की दूसरी कड़ी मे हार्दिक स्वागत करता हूँ। पाठकों और श्रोताओं के अनुरोध पर आरम्भ की गई इस लघु श्रृंखला के अन्तर्गत हम भारतीय संगीत की मौजूदा शैलियों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा है। वैदिक युग से लेकर वर्तमान तक इस संगीत-धारा में अनेकानेक धाराओं का संयोग हुआ। इनमें से जो भारतीय संगीत के मौलिक सिद्धांतों के अनुकूल धारा थी उसे स्वीकृति मिली और वह आज भी एक संगीत शैली के रूप स्थापित है और उनका उत्तरोत्तर विकास भी हुआ। विपरीत धाराएँ स्वतः नष्ट भी हो गईं। भारतीय संगीत की सबसे प्राचीन और वर्तमान में उपलब्ध संगीत शैली है, ध्रुपद अथवा ध्रुवपद। पिछली कड़ी में हमने ध्रुपद शैली के परिचय से श्रृंखला की शुरुआत की थी और इस कड़ी में आपको ध्रुपद आलाप से परिचि